काम करते मजदूर (फोटो नवभारत)
Bhandara Gram Rozgar Sevak Agitation: ग्राम रोजगार सेवक संगठना द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कामबंद आंदोलन शुरू किए जाने से भंडारा जिले की 547 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्य पूरी तरह ठप हो गए हैं।संगठन ने 3 अक्टूबर 2024 के शासन निर्णय के अनुसार 10 महीनों से लंबित सुधारित मानधन देने, पूर्णकालिक काम का दर्जा तथा अन्य मांगों के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाया है।
रोजगार सेवकों के आंदोलन की वजह से मनरेगा अंतर्गत सार्वजनिक कार्य जैसे सीमेंट रोड, सीमेंट नाली, पेवर ब्लॉक निर्माण, पौधारोपण तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के घरकुल निर्माण, तबेला शेड, बकरी शेड, कुक्कुटपालन शेड जैसे व्यक्तिगत लाभार्थी कार्य ठप हो गए हैं। इससे हजारों लाभार्थियों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2024 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने निर्णय लिया था कि अक्टूबर 2024 से ग्राम रोजगार सेवकों के खाते में शासन निर्णयानुसार मानधन दिया जाएगा। लेकिन दस महीने बीत जाने के बाद भी सहायकों को मानधन नहीं मिला। इस कारण उनकी आजीविका संकट में पड़ गई है और भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
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भंडारा जिला ग्राम रोजगार सेवक संगठना ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, रोगायो मंत्री, आयुक्त नागपुर, सचिव मंत्रालय, जिलाधिकारी तथा उपमुख्य कार्यपालन अधिकारी भंडारा को 24 अगस्त तक मानधन वितरण और अन्य मांगों को मंजूरी देने के लिए निवेदन सौंपा था। लेकिन सकारात्मक निर्णय न मिलने पर संगठन ने 25 अगस्त से कामबंद आंदोलन शुरू करने की चेतावनी पहले ही 19 अगस्त को जारी की थी।
गांव-गांव में मनरेगा कार्यों का प्रमुख दायित्व रोजगार सेवकों पर ही रहता है। उन्हें ग्राम स्तर पर रोजगार गारंटी योजना की रीढ़ माना जाता है। लेकिन आज वही रोजगार सेवक अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। संगठन ने मांग की है कि शासन तुरंत निर्णय लेकर समस्याओं का समाधान करे।