भंडारा में रास्ते पर बैठे कम्प्यूटर ऑपरेटर (फोटो नवभारत)
Bhandara Computer Operator Protest: ग्राम पंचायत कंप्यूटर ऑपरेटरों की विभिन्न लंबित मांगों को लेकर सोमवार 13 अक्टूबर से शुरू हुआ अन्न-जल त्याग आंदोलन बुधवार को तीव्र रूप धारण कर गया। आंदोलन के तीसरे दिन जिलाध्यक्ष सचिन खंगार की तबीयत बिगड़ने के बाद स्थिति और तनावपूर्ण बन गई।
इस बीच मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने प्रतिनिधि मंडल से चर्चा करने से इनकार किया, जिससे नाराज ऑपरेटरों ने जिला परिषद कार्यालय के समक्ष रास्ता रोको आंदोलन किया। इस आंदोलन के चलते कई घंटों तक यातायात ठप रहा। प्रशासन की उदासीनता से आंदोलनकारियों में भारी नाराजगी थी।
तीसरे दिन सचिन खंगार की तबीयत बिगड़ने के बाद आंदोलन स्थल पर हंगामा मच गया। जिला परिषद के परिसर में कुल 93 कंप्यूटर ऑपरेटर मौजूद थे। सभी ने प्रशासन के विरोध में जोरदार नारेबाजी की।
स्थिति गंभीर होती देख सांसद प्रशांत पडोले तुरंत आंदोलन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने जिला परिषद के सभापति नरेश ईश्वरकर और एकनाथ फेंडर की उपस्थिति में प्रशासनिक अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई।
चर्चा के बाद प्रशासन ने कंप्यूटर ऑपरेटरों की मुख्य मांगों को स्वीकार करते हुए सकारात्मक आश्वासन दिया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने सड़क खाली की और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिलिंदकुमार सालवे ने स्वयं उपोषणकर्त्ताओं को नींबू पानी पिलाकर आंदोलन समाप्त कराया।
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ग्राम पंचायत कंप्यूटर ऑपरेटरों का साल 2024 से बकाया मानधन लगभग दो वर्षों से तकनीकी कारणों से रुका हुआ था। कई बार निवेदन देने के बावजूद प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। इसके चलते संगठन ने अन्न-जल त्याग आंदोलन शुरू किया।आश्चर्य की बात यह रही कि आंदोलन शुरू होने के केवल एक घंटे के भीतर ही लगभग 23 लाख रुपये का बकाया मानदेय जिले के 93 कंप्यूटर ऑपरेटरों के खातों में जमा कर दिया गया।
ऑपरेटरों ने जून 2025 से सितंबर 2025 तक के चार महीनों के बकाया मानदेय के भुगतान तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया था। लेकिन प्रशासन ने लिखित आश्वासन देने के बाद आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
इस आंदोलन का नेतृत्व जिलाध्यक्ष सचिन खंगार और जिला मार्गदर्शक दिगंबर वंजारी ने किया। जिले के सभी कंप्यूटर ऑपरेटरों ने सक्रिय सहयोग दिया। इस संघर्ष और एकजुटता के परिणामस्वरूप संगठन ने जीत दर्ज की और आंदोलन को सफल बताया गया।