भंडारा में आंदोलनकारियों ने किया चक्काजाम (फोटो नवभारत)
Bhandara Gosikhurd Project Protest: रविवार को भंडारा के गोसीखुर्द परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों के आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया जब आंदोलनकारियों ने जिला योजना समिति के पूर्व पालकमंत्री से चर्चा की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग 247 पर बैठ चक्का जाम कर यातायात अवरुद्ध कर दिया। गोसीखुर्द परियोजना प्रभावित संघर्ष समिति के नेतृत्व में चल रहा यह आंदोलन पिछले सात दिनों से जारी है।
ग्रामीण पुनर्वास और अन्य लंबित मुद्दों को लेकर प्रभावित नागरिकों ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई। भंडारा में जिला योजना समिति की बैठक रविवार को आयोजित थी, जिसमें जिले के पालकमंत्री पंकज भोयर के आने की सूचना मिलते ही आंदोलनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 247 (पुराना एनएच 53) पर कलेक्टर ऑफिस के सामने धरना देना शुरू कर दिया।
प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए पालकमंत्री से मुलाकात का समय देने और उनकी समस्याओं पर चर्चा करने की मांग की। आंदोलन के कारण राजमार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और यातायात कुछ समय के लिए पूरी तरह बाधित रहा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हस्तक्षेप किया और आंदोलनकारियों को हटाकर मार्ग को सुचारू किया।
इस दौरान कुछ महिला आंदोलनकारी पेड़ पर चढ़कर अपना विरोध प्रकट करती नजर आईं। बाद में जिला योजना समिति की बैठक समाप्त होने के पश्चात पालकमंत्री और आंदोलनकारियों के प्रतिनिधि मंडल के बीच चर्चा हुई। बताया जाता है कि प्रशासन ने आंदोलनकारियों की मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है।
जानकारी के अनुसार, गोसेखुर्द परियोजना के कारण भंडारा तहसील के 27 गांवों के पुनर्वास का प्रश्न कई वर्षों से लंबित है। प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति की ओर से बार-बार आंदोलन किए जाने के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
कारधा, सुरेवाड़ा, खमारी और करचखेड़ा जैसे गांवों की स्थिति अत्यंत खराब है। इन गांवों के घरों में दरारें पड़ी हैं, दीवारों में नमी है, गंदा पानी जमा रहता है और विषैले जीव-जंतुओं का आतंक बना रहता है। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें रोजमर्रा कामों के लिए भी जान जोखिम में डालकर जीना पड़ रहा है।
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सभी प्रभावित गांवों का पुनर्वास किया जाए, सुरबोडी गांव को 2013 के पुनर्वास कानून के अनुसार बसाया जाए, जिन आदिवासियों की जमीनें अधिग्रहित की गई हैं उन्हें जमीन लौटाई जाए, भूखंडों का वितरण शीघ्र किया जाए और क्षतिग्रस्त घरों का मुआवजा तत्काल दिया जाए।
बता दें कि 6 अक्टूबर से जिलाधिकारी कार्यालय के सामने यह आंदोलन जारी है। इसके पूर्व 7 अक्टूबर को तीन महिलाओं ने इसी जगह पेड़ पर चढ़कर दिन भर प्रशासन को चेताये रखा और रात 9.30 बजे चर्चा के आश्वासन के बाद वे पेड़ से उतरी।