
किसान आत्महत्या (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Bhandara News: भंडारा जिले में किसानों पर अनेक विपदाए आई है। बेमौसम बारिश,कीट प्रकोप या अन्य कारणों से किसान लगातार गहरे संकट में फंसते रहे हैं। एक चौंकाने वाले खुलासे के तहत पिछले 11 महीनों (जनवरी से नवंबर 2025) के दौरान जिले में 24 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
हालांकि, सरकारी मदद के लिए गठित समिति ने इनमें से 13 मामलों को अयोग्य करार दिया है, जिसके चलते केवल 11 पीड़ित परिवारों को ही सरकारी सहायता मिल पाई है। किसानों की ओर से इस तरह के आत्मघाती कदम उठाने के पीछे मुख्य कारण फसल की नाकामी, मौसम की मार और बैंकों/साहूकारों से लिए गए कर्ज की वापसी का दबाव बताया जा रहा है।
आत्महत्या के इन मामलों में फांसी लगाना, जहर पीना या कुएँ में कूदना जैसे तरीके शामिल हैं। सरकारी नियमों के तहत पात्र ठहराए गए 11 परिवारों को ही शासन की ओर से प्रति परिवार 1 लाख की सहायता राशि प्राप्त हुई है। ऐसे में आत्महत्याग्रस्त परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए बनाए गए जटिल मानदंड पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
फसल खराब होने, आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ के कारण जब किसान जान दे रहे हैं, तब सरकारी समितियाँ पात्रता तय करने में अत्यधिक सख्ती बरत रही हैं। इसका सीधा असर अपात्र घोषित परिवारों पर पड़ रहा है, जो अपने मुख्य आधार को खोने के बाद भी सरकारी मदद से वंचित रह जाते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, इस साल सर्वाधिक किसान आत्महत्याएं शुरुआती महीनों में दर्ज हुईं। जैसे जनवरी में 5 मामले, मार्च में 6 मामले और अप्रैल में 7 मामले दर्ज हुए।मई में 3, जून में 2, और जुलाई में 1 मामले दर्ज हुए, जो दर्शाते हैं कि संकट पूरे वर्ष बना रहा। नवंबर 2025 तक कुल 24 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 13 अपात्र घोषित हुए हैं।
| महीना | मामले |
|---|---|
| जनवरी | 5 |
| फरवरी | 0 |
| मार्च | 6 |
| अप्रैल | 7 |
| मई | 3 |
| जून | 2 |
| जुलाई | 1 |
| अगस्त | 0 |
| सितंबर | 0 |
| अक्टूबर | 0 |
| नवंबर | 0 |
| कुल | 24 |
आत्महत्या के मामलों को सहायता देने के लिए जिला प्रशासन की समिति जांच करती है। यदि कर्ज का कोई प्रमाण नहीं मिलता है, या पोस्टमार्टम (शव परीक्षण) रिपोर्ट अथवा परिजनों के बयान में कोई संदेह होता है, तो मामले को दोबारा जाँच के लिए भेजा जाता है। हालांकि, एक चौंकाने वाली जानकारी यह है कि अब तक अपात्र घोषित किए गए एक भी मामले में पुनः जाँच (रिव्यू) नहीं की गई है, और यह आँकड़ा शून्य है। वर्तमान में कोई भी मामला लंबित नहीं है।
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भंडारा एक धान उत्पादक जिला है। पिछले रबी सीजन में बेमौसम बारिश और बीमारियों ने फसलें बर्बाद कीं, जबकि खरीफ सीजन में अतिवृष्टि और बाढ़ ने संकट बढ़ा दिया। किसानों की परेशानी तब और बढ़ गई जब सरकार ने धान खरीद केंद्र देरी से शुरू किए, जिससे उन्हें धान बेचने और भुगतान प्राप्त करने में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।






