पूर्व नगराध्यक्ष कारेमोरे ने की मांग। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: तुमसर नगर परिषद द्वारा नगरवासियों पर संपत्ति कर के मनमाने, अपारदर्शी एवं विधिसम्मत आधारविहीन निर्धारण थोपा गया है। उसे तत्काल रद्द करने का आदेश जारी कर नागरिकों को आर्थिक एवं मानसिक परेशानी से राहत दिलाने की मांग पूर्व नगराध्यक्ष अभिषेक कारेमोरे द्वारा की गई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में तुमसर नगर परिषद द्वारा नोटिस के माध्यम से संपत्ति कर का जो आकलन एवं थोपा गया है, वह पूर्णतः मनमाना, गैरकानूनी तथा अपारदर्शी है और इसका कोई विधिक आधार नहीं है।
इसके पूर्व नगर परिषद द्वारा यह कहीं स्पष्ट नहीं किया गया है कि संपत्ति का दरयोग्य मूल्य किस सूत्र या किस कानूनी प्रावधान के आधार पर निर्धारित किया गया है, न ही किसी प्रकार की सार्वजनिक सूचना दी गई है और न ही यह बताया गया है कि कितना कालीन क्षेत्रफल लिया गया है, प्रति वर्ग मीटर दर क्या है, क्या कटौतियां की गई हैं, अथवा संपत्ति को आवासीय या गैर-आवासीय किस श्रेणी में रखा गया है। न तो प्रभावित नागरिकों को और न ही उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को यह जानकारी दी गई है कि किस संपत्ति के कितने वर्ग मीटर क्षेत्र की गणना की गई है, किस नियम के अंतर्गत की गई है और यह मापन किस तिथि को तथा किस प्रक्रिया से किया गया है।
यह पूरा आकलन गुप्त रूप से और एकपक्षीय रूप से प्रशासक द्वारा बंद कमरे में किया गया है, जिसमें न तो आम नागरिकों की भागीदारी रही है और न ही किसी प्रकार की लोकतांत्रिक समीक्षा। नागरिकों को न तो व्यक्तिगत रूप से कोई सूचना दी गई है और न ही उन्हें मापन अथवा मूल्य निर्धारण को सत्यापित करने या उस पर आपत्ति दर्ज करने का अवसर प्रदान किया गया है। यह प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और महाराष्ट्र नगर परिषदें, नगर पंचायतें तथा औद्योगिक नगर अधिनियम, 1965 की अध्याय 8 एवं कर निर्धारण नियमों का घोर उल्लंघन है।
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इसके अतिरिक्त, शौचालय, स्नानघर और धुलाई स्थान जैसे अप्रवासी क्षेत्र को भी कालीन क्षेत्रफल में सम्मिलित किया गया है, जो कि अध्याय 8 के नियम 7 के प्रतिकूल है, जिसमें स्पष्ट रूप से ऐसे क्षेत्रों को दरयोग्य मूल्य की गणना से बाहर रखने का प्रावधान है। इसके अलावा, नियम 8 के अनुसार नगर परिषद को प्रत्येक संपत्ति के उपयोग (आवासीय/गैर-आवासीय, स्व-स्वामित्व/किराए पर) से संबंधित उचित जानकारी एकत्र करनी चाहिए, जो कि स्पष्टतः नहीं की गई है।
कारेमोरे ने आगे कहा कि अत्यंत गंभीर बात यह है कि यह पूरा संपत्ति कर संशोधन प्रशासक द्वारा निर्वाचित नगर परिषद की सामान्य सभा की अनुपस्थिति में किया गया है, जबकि यह एक आवश्यक कानूनी शर्त है। इस प्रकार कर का थोपना न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक सत्ता का दुरुपयोग भी है। उन्होंने नए संपत्ति कर निर्धारण एवं उसकी वसूली की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने, उपयोग किए गए फार्मूले, मापन संबंधी विवरण एवं मूल्य निर्धारण के विधिक आधार को सार्वजनिक रूप से घोषित करने, भविष्य में किसी भी संपत्ति कर निर्धारण की प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता, पूर्व सूचना, जन भागीदारी एवं विधिक प्रक्रिया के पालन के साथ की जाने की मांग की है।