मानव अंगदान व प्रत्यारोपण सप्ताह (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: भंडारा जिले में मानव अंगदान और प्रत्यारोपण सप्ताह 3 से 15 अगस्त तक मनाया जाएगा। मृत्यु के बाद भी दूसरों को जीवनदान देने वाली इस महान संकल्पना को अधिक प्रभावशाली तरीके से जनसामान्य तक पहुंचाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देशानुसार विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसी संदर्भ में सोमवार, 4 अगस्त को दोपहर 3 बजे जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सभी विभाग प्रमुखों की बैठक बुलाई गई है।
18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अंगदान के लिए पंजीकरण कर सकता है। मस्तिष्क मृत्यु होने की स्थिति में परिजन भी अंगदान का निर्णय ले सकते हैं। अंगदान के दो मुख्य प्रकार होते हैं, जीवित व्यक्ति द्वारा अंगदान एवं दूसरा मृत अथवा मस्तिष्क-मृत व्यक्ति का अंगदान, जीवित व्यक्ति एक गुर्दा, पैंक्रियास का भाग और लीवर का एक भाग दान कर सकता है। लीवर एकमात्र ऐसा अंग है जो कटने के बाद पुनः विकसित हो सकता है।
यदि रक्त समूह मेल नहीं खाता, तो स्वैप ट्रांसप्लांट (अदला-बदली प्रत्यारोपण) का विकल्प मौजूद है, जिसमें दो परिवारों के सदस्य एक-दूसरे को अंग दान करते हैं। यह प्रक्रिया ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन्स अधिनियम, 1994 के अंतर्गत वैध है। मस्तिष्क मृत व्यक्ति के हृदय, किडनी, लीवर, फेफड़े, पैंक्रियास, आंखे, त्वचा, हड्डियां और आंतें दान किए जा सकते हैं। जीवित व्यक्ति एक किडनी, लीवर का भाग, पैंक्रियास का भाग दान कर सकता हैं।
इसके अलावा, कुछ लोग मृत्युपरांत देहदान करते हैं, जो मेडिकल छात्रों की शिक्षा में उपयोगी होता है। ब्रेन डेड (मस्तिष्क मृत्यु) का अर्थ है, मस्तिष्क की सभी गतिविधियां पूरी तरह बंद हो जाना। ऐसे रोगी स्वयं सांस नहीं ले सकते। डॉक्टरों की अधिकृत पैनल की ओर से पूरी जांच के बाद ब्रेन डेड घोषित किया जाता है।
रोगी की संपूर्ण चिकित्सकीय जांच की जाती है। फिर प्रमाणित अस्पताल समिति और ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर समन्वय करते हैं। यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई आर्थिक लेन-देन न हो। भारत में अंगदान की दर बहुत कम है। प्रति दस लाख लोगों में केवल 0.80 व्यक्ति अंगदान करते हैं। ब्रेन डेड मरीजों की समय पर पहचान, पारदर्शिता, जागरूकता, और ऑनलाइन प्रतीक्षा सूची आवश्यक है।
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भारत में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख मरीजों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, लेकिन समय पर अंग नहीं मिलने से हर दिन लगभग 17 मरीजों की मौत हो जाती है। भारत में ब्रेन डेड मरीजों से अंगदान की दर प्रति दस लाख में केवल 0.34 है। अंगदान की पंजीकरण नैशनल ऑर्गन अंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गनायज़ेशन की वेबसाइट पर की जा सकती है। यह केवल एक चिकित्सकीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है।
अंगदान के बदले पैसे लेना अपराध है। अवैध अंगदान पर 1 से 3 साल तक की जेल और 5 लाख रुपये जुर्माना हो सकता है। अंगदान व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है। मृत्यु के बाद भी यह जीवनदान जरूरतमंद तक पहुंचे यही इस अभियान का उद्देश्य है।
भंडारा जिला शल्यचिकित्सक डॉ. दीपचंद सोयाम ने बताया कि “अंगदान एक अत्यंत महान और जीवनदायी कार्य है। हर किसी को सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में इसमें सहभागी होना चाहिए और दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए। जिले में 15 अगस्त तक चलने वाले इस जनजागृति अभियान में आप भी शामिल हों।”