हाथीपांव बीमारी (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Filariasis Patient Report: भंडारा जिले में हाथीपांव (फायलेरिया) के मरीज अभी भी बड़ी संख्या में मौजूद है। जिला मलेरिया विभाग के अनुसार जिले में कुल 2,711 मरीज फिलहाल इस बीमारी से पीड़ित हैं। तहसीलवार स्थिति इस प्रकार है। भंडारा– 566, मोहाड़ी– 232, साकोली– 323, पवनी– 572, लाखांदुर– 339, तुमसर– 279 और लाखनी में 400 मरीज हैं।
पिछले कई वर्षों से सरकार की ओर से इस बीमारी की रोकथाम के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। करोड़ों की संख्या में डायथेलियम (डीईसी) और अल्बेंडाजोल की गोलियां वितरित की गईं। लेकिन लोगों की लापरवाही के कारण गोलियां लेने के बावजूद वे उन्हें नियमित नहीं खाते।
यही कारण है कि हाथी पैर जैसी खतरनाक बीमारी जिले में अब भी बड़ी संख्या में मौजूद है। हाथी पैर, जिसे लिम्फैटिक फायलेरियासिस भी कहा जाता है, मच्छरों के काटने से फैलती है।
भंडारा जिले की 4 तहसीलें भंडारा, साकोली, लाखांदुर और पवनी के 64 गांवों में 10 से 22 अगस्त के दौरान रात्रि 10 से 12 बजे के दौरान एक अभियान चलाया गया। इस दौरान 6,300 लोगों के रक्त नमुने जांच के लिए प्राप्त किए गए। आशा स्वयंसेविका और स्वास्थ्य कर्मियों की ओर से संयुक्त रूप से यह अभियान चलाया गया।
इस अभियान में 543 संदिग्ध हाथी पैर रोगी पाए गए। इन संदिग्ध फायलेरिया मरीजों के नमुने पुणे की प्रयोगशाला में भेजे गए। जांच के बाद 17 मरीज फायलेरिया से पीड़ित होने की पुष्टि हुई।
हाथीपांव की बीमारी इस कदर अपना रौद्र रूप दिखाती है कि कई लोग विकलांगता का जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो जाते है। इसी बात को ध्यान में रखकर अब सरकार की ओर से पूरी जांच के बाद विकलांगता प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार जिला मलेरिया विभाग की ओर से फायलेरिया के 991 मरीजों को विकलांग प्रमाणपत्र के लिए जिला सर्जन कार्यालय भेजा गया। जांच के बाद उनमें से 339 को विकलांग प्रमाणपत्र जारी कर दिए गए हैं।
यह भी पढ़ें:- सरकारी कामों के आवंटन में आरक्षण नीति को चुनौती, हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मांगा जवाब
तहसील | सिफारिश | प्रमाणपत्र जारी |
---|---|---|
भंडारा | 171 | 119 |
मोहाड़ी | 84 | 46 |
साकोली | 162 | 48 |
पवनी | 195 | 46 |
लाखांदुर | 148 | 22 |
तुमसर | 82 | 30 |
लाखनी | 149 | 58 |
कुल | 991 | 339 |
भंडारा जिला मलेरिया अधिकारी एसडी कैकाडे ने बताया कि नियमित उपचार और जागरूकता के माध्यम से ही हाथी पैर जैसी बीमारी को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही स्वच्छता रखना भी जरूरी है।