प्रतीकात्मक तस्वीर
Bhandara Patwari Shortage: किसान और राजस्व विभाग के बीच कार्य का मुख्य सेतु पटवारी होते हैं। सातबारा, पीकपेरा, भूमि खरीद-बिक्री के बाद फेरफार, ई-फसल निरीक्षण, अतिवृष्टि व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का पंचनामा, गौण खनिज से संबंधित काम और जांच जैसी जिम्मेदारियां पटवारी के माध्यम से पूरी की जाती हैं। मगर भंडारा जिले में 243 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 210 पटवारी कार्यरत हैं, जबकि 33 पद रिक्त हैं।
इस कमी के चलते खासकर कृषि सीजन में किसानों को तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जिले में कुल 794 राजस्व गांव और 234 पटवारी सर्कल हैं। इसके लिए 242 पद स्वीकृत किए गए हैं। लेकिन फिलहाल केवल 210 पटवारी ही कार्यरत हैं। 2023 में भर्ती परीक्षा द्वारा कुछ पद भरे गए थे, मगर अब भी कई पद खाली हैं।
पटवारियों की कमी के कारण किसानों के राजस्व कार्य समय पर पूरे नहीं हो पाते। ई-फसल निरीक्षण, आपदा के पंचनामे, भूमि फेरफार जैसे कार्यों में देरी होती है। नतीजतन, विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रस्ताव विलंब से जाते हैं और इसका सीधा आर्थिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है।
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वर्तमान खरीफ सीजन में राजस्व कार्य का दबाव और बढ़ गया है। इसलिए रिक्त पदों पर तुरंत भर्ती कर किसानों की दिक्कतें दूर की जाएं, ऐसी मांग बढ़ रही है। राजस्व विभाग किसान और शासन के बीच अहम कड़ी है, इसलिए रिक्तता जल्द से जल्द भरने की अपेक्षा नागरिकों ने जताई है।
भंडारा जिले के 234 पटवारी सर्कलों में से 149 के लिए सरकारी भवनों की मंजूरी दी गई है। इसके लिए 2355 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं। 92 भवनों का काम प्रगति पर है, 40 का 50 प्रतिशत, 28 का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और 3 इमारतें पूरी तरह बनकर उद्घाटन की प्रतीक्षा में हैं। इसके बावजूद कई पटवारी कार्यालय आज भी किराए के मकानों में चल रहे हैं।