(सौजन्य सोशल मीडिया)
मुंबई : भगवान कृष्ण की लीलाओं का जश्न मनाने का पर्व झूलन उत्सव का आगाज हो गया है। इसे लेकर विले पार्ले पश्चिम जुहू में स्थित इस्कॉन मंदिर में शुक्रवार को उत्सव का आगाज किया गया। उत्सव में राधा-माधव जी को झूला झुलाने की परंपरा है। इसके लिए मंदिर परिसर में झूला लगाया गया है। झूलन पर्व सबसे शुभ त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दौरान बलराम-पूर्णिमा तक प्रतिदिन राधा-कृष्ण को झूले पर झूलाने की परंपरा चलेगी।
श्रील प्रभुपाद के निर्देशों के अनुसार इस्कॉन मंदिर में 4 दिनों तक त्योहार मनाया जाएगा। 19 अगस्त को कार्यक्रम का समापन किया जाएगा। झूलन उत्सव में लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है। पहले दिन झुलन उत्सव में 60 हजार से ज्यादा श्रद्धालु शामिल हुए।
इस्कॉन मंदिर में श्रावण के पवित्र महीने में झूलन यात्रा (झूला उत्सव) का पवित्र त्योहार मनाया जाता है। पुत्रदा एकादशी के दिन से यह धार्मिक उत्सव शुरू हुआ जो बलराम पूर्णिमा तक यानी 4 दिनों तक जारी रहेगा। इस दौरान मंदिर में पारंपरिक आरती और पूजा के बाद देवताओं को झूले पर बैठा कर झुलाया जाएगा। इसके लिए मंदिर परिसर में झूले को फूलों और विभिन्न लताओं से सजाया गया है, ताकि ऐसा महसूस हो सके कि झूला सीधे भगवान कृष्ण के पवित्र स्थान वृंदावन से लाया गया है।
भक्त शाम के समय उत्सव में भाग लेते हैं। इस दौरान प्रत्येक व्यक्ति यहां प्रार्थना करता है और फिर झूले को कई बार धक्का देकर श्रीकृष्ण को झुलाते है। मंदिर में परमानंद कीर्तन चलता रहता है। उल्लेखनीय है कि झूले का श्रृंगार बहुत ही खूबसूरती के साथ किया जाता है। इसे लेकर मंदिर की अलौकिक सजावट की गई है। मान्यता है कि जब चंद्रमा पूर्ण होता है, तब भगवान बलराम प्रकट होते हैं। इस दिन को झूलन यात्रा का अंतिम दिन और बलराम के प्रकट दिवस उत्सव के रूप में भक्त मनाते है।
नवी मुंबई में खारघर स्थित इस्कॉन मंदिर में भी झूलन उत्सव का भव्य आयोजन किया गया है। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। इसी प्रकार मीरा रोड में पूर्व स्थित इस्कॉन मंदिर के प्रबंधक एवं पुजारियों द्वारा झूलन उत्सव में भारी संख्या में श्रद्धालु आए। उक्त दोनों स्थानों पर हजारों श्रद्धालुओं के झूलन उत्सव में शामिल होने की उम्मीद है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के दिनों में ही भगवान श्रीकृष्ण ने राधाजी को झूला झुलाया था। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने गीत गाकर और मुरली बजाकर संपूर्ण पृथ्वी को अपनी लीलाओं से आश्चर्यचकित कर दिया था। श्रीकृष्ण ने राधा रानी को दुल्हन की तरह सजाया था और साथ में नृत्य भी किया था। ऐसी मान्यता है कि सावन के दिनों में झूला झूलने से भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा प्रदान होती है।