फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट (सौ. सोशल मीडिया )
Jayakwadi Dam News: मराठवाड़ा के 5 जिलों में पेयजल समस्या हल करने वाले जायकवाड़ी बांध के बीचो बीच विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर प्रकल्प का निर्माण किया जाएगा। केंद्र सरकार के नेशनल थर्मल पावर कॉपर्पोरेशन (NTPC) ने इस प्रकल्प के निर्माण को हाल ही में मान्यता दी है।
इस प्रकल्प पर 10 हजार करोड रुपए खर्च होंगे। इस प्रकल्प से 1342 मेगावाट रिकॉर्ड ब्रेक बिजली निर्मिती होगी। इस प्रकल्प से इतने बड़े पैमाने पर बिजली निर्मिती होने से मराठवाड़ा सहित महाराष्ट्र के औद्योगिक क्षेत्र को कम दाम में बिजली मिलेगी, इस प्रकल्प के निर्माण के लिए कई सालों से जुटा हुआ था।
इस प्रकल्प के निर्माण के बाद बांध पर आने बाले देशी व विदेशी पक्षियों के स्थानांतरण पर किसी प्रकार का आघात नहीं होगा, इसका गहराई से अभ्यास कर ही केंद्र व राज्य सरकार ने इस प्रकल्प को मंजूरी दी है। फ्लोटिंग सोलर प्रकल्प से महाराष्ट्र के साथ ही देश के उर्जा क्षमता में ऐतिहासिक वृद्धि होगी। यह जानकारी पूर्व केंद्रीय अर्थ राज्य मंत्री व सांसद डॉ। भागवत कराड ने आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी।
उन्होंने बताया कि पिछड़े मराठवाड़ा संभाग से में बड़े पैमाने पर खेती उत्पादित माल में जायकवाड़ी बांध का बड़ा योगदान है। इस बांध से मराठवाड़ा के 5 जिलों में पेयजल के अलावा खेती के लिए पानी का उपयोग किया जाता है। यह बांध 33 हजार 989 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
2018 में जब में मराठवाड़ा वैधानिक विकास महामंडल का अध्यक्ष बना, तब मैंने इस संभाग में बिजली की समस्या हल करने के लिए जायकवाडी बांध पर फ्लोटिंग सोलर प्रकल्प के निर्माण के लिए पहल शुरू की श्री। जीवाश्म ईंधन पर आधारित ऊर्जा के बजाए स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन में कमी होगी।
एक सवाल के जवाब में डॉ। कराह ने बताया कि इस प्रकल्प के निमर्माण से शहर के औद्योगिक क्षेत्र में बिजली कम दाम में मिलेगी, जल्द ही शहर व परिसर में नामचीन कंपनियां अपनी यूनिट स्थापित करेंगी।
जायकवाडी बांध समतल सतह पर होने के कारण सोलार एनर्जी द्वारा इस प्रकल्प की जमीन की बचत होगी, जमीन पर सोलर पैनल लगाने के लिए जमीन कम पड़ने के कारण जलाशय का इस्तेमाल फ्लॉटिंग सोलर 3 प्रकल्प के लिए किया जाएगा विशेषकर, इस प्रकल्प का विरोध बांध परिसर में फिश बेचने वालों ने करते हुए इसको लेकर न्यायालय में याचिका भी दायर की थी।
लेकिन, कोर्ट ने यह याचिका अस्वीकार करने से प्रकल्प के निर्माण को तत्काल राहत मिली। उन्होंने बताया कि जल्द ही प्रकल्प के निर्माण का भूमिपूजन होगा, प्रकल्प के निर्माण के लिए संबंधित राष्ट्रीय पर्यावरण, राष्ट्रीय वन विभाग, राज्य के सिचाई व वन विभाग से परमिशन ले ली गई है। प्रकल्प के लिए केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दीपक नाईक नामक कन्सलटंट की नियुक्ति की है।
सांसद डॉ। कराड ने बताया कि जायकवाडी बाथ में फ्लोटिंग प्रकल्प के निर्माण के लिए मैंने नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन के आता अधिकारियों से संपर्क कर उन्हें इस प्रकल्प के बारे में अवगत कराया, इधर, राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस से भी इस प्रकल्प के बारे में चर्चा कर उन्हें केन्द्र सरकार से मदद के लिए गुहार लगाई।
सीएम फडणवीस ने इस प्रकल्प के लिए दिलचस्पी दिखाई, जिसके बाद एनटीपीसी व राज्य सरकार की एक टीम ने जायकवाडी बांध का दौरा कर फ्लोटिंग सोलर प्रकल्प के लिए दक्षिण क्षेत्र में 2 तथा उत्तर क्षेत्र में एक सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया, उसके बाद बांध के बीचों बीच 10 हजार एकड़ में फ्लोटिंग प्रकल्प का निर्माण को मंजूरी मिली, सांसद डॉ। कराड ने दावा किया कि इस प्रकल्प से जायकवाडी बांध से गर्मी के मौसम में बांध में जमा कुल पानी के स्टॉक से 30 से 35 प्रतिशत पानी वाश्चित होता है।
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बिजली के उत्पादन के बाद उसके आपूर्ति के लिए 40-40 एकड़ में तीन स्थानों पर पॉवर स्टेशनों का निर्माण होगा। इसके लिए सिंचाई विभाग ने एनटीपीसी को जमीन भी दी है। यह पॉवर स्टेशन इको सेंसिटिव जोन में स्थापित होंगे।