शिवसेना विधायक संयज गायकवाड़ (सोर्स: सोशल मीडिया)
छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य की महायुति सरकार ने अपने दोनों प्रस्ताव वापस ले लिए है। इधर हिंदी का विरोध कर रहे राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक हो गए है। इसके बाद एक नई बहस शुरू हो गई है। मराठी के नाम पर दोनों भाइयों के एकसाथ आने के बाद राजनीतिक विरोधी उन पर लगातार हमला बोल रहे है। अब शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने राज-उद्धव ठाकरे पर जमकर हमला बोला।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ ने राज्य के स्कूलों में हिंदी और त्रिभाषा नीति के सख्त विरोध को लेकर उद्धव और राज ठाकरे पर हमला करने के लिए छत्रपति संभाजी महाराज के बहुभाषाविद् होने का हवाला दिया।
संजय गायकवाड़ ने कहा कि छत्रपति संभाजी महाराज ने 16 भाषाएं सीखी थीं तो क्या वह मूर्ख थे? ताराबाई और जीजाबाई हिंदी सहित कई भाषाएं जानती थीं। क्या वे भी मूर्ख थीं? हमें जितनी हो सके उतनी भाषाएं सीखनी चाहिए। इस बयान के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
ठाकरे भाइयों ने शनिवार को मुंबई में दो दशकों में पहली बार एक संयुक्त रैली की, जिसमें उन्होंने देवेंद्र फडणवीस सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत तीन भाषा नीति पर दो सरकारी प्रस्तावों (जीआर) को वापस लेने को अपनी सफलता के तौर पर चिह्नित किया।
इस कार्यक्रम में शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने राज्य में हिंदी थोपने और मराठी को “दरकिनार” करने के सरकार के सभी प्रयासों का विरोध करने का संकल्प लिया।
बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड़ ने ठाकरे भाइयों पर प्रहार करते हुए कहा कि भाषा के मुद्दे पर राजनीति करना गलत है। अगर हम आतंकवाद को रोकना चाहते हैं तो हमें उर्दू भी सीखनी चाहिए। मैंने यह कई बार कहा है।
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इतिहासकारों के अनुसार, छत्रपति संभाजी महाराज काफी पढ़े-लिखे शासक थे जिन्हें संस्कृत, मराठी सहित कई भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने संस्कृत पुस्तक ‘बुद्धभूषणम’ तथा कई अन्य पुस्तकें लिखीं।