प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोसल मीडिया )
College Professor Murder News: छत्रपति संभाजीनगर शहर के एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक पद पर कार्यरत प्रा. राजन शिंदे की बेरहमी से हत्या करने के मामले में न्यायालय ने नाबालिग हत्यारे को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश एन. एस. मोमिन ने बुधवार, 10 दिसंबर को यह फैसला सुनाया। हत्या की क्रूरता, पूरी घटना की योजना और नाबालिग की मानसिक परिपक्वता को देखते हुए अदालत ने उसे ‘प्रौढ़’ मानकर मुकदमा चलाया।
11 अक्टूबर 2021 की रात प्राध्यापक की अपने घर में ही निर्मम हत्या कर दी गई थी। सोते समय उनके सिर पर भारी डंबल से हमला किया गया था। इसके बाद नाबालिग हमलावर ने प्रा. राजन के हाथ की नसें काटीं और गला भी रेत दिया था। जिससे उनकी मौके पर ही उनकी मौत हुई थी।
प्रारंभिक जांच में पुलिस को संदेह था कि हत्या घर के किसी सदस्य ने की है। सात दिन की गहन जांच के बाद पुलिस ने हत्यारे नाबालिग को गिरफ्तार किया था। प्रा. राजन द्वारा बार बार डांट-फटकार और लगातार अपमान किए जाने की वजह से नाबालिग के मन में गहरा आक्रोश था।
10 अक्टूबर की रात झगड़े के बाद प्रा. राजन हॉल में सो गए। इसी दौरान रात करीब 3 बजे नाबालिग ने उनकी हत्या की योजना को अंजाम दिया। डंबल से भीषण वार कर नाबालिग ने डंबल से लहूलुहान कर दिया। यह सोचकर कि प्रा. राजन जीवित न हों, उसने रसोई के चाकू लाकर उनकी नसें और गला काट दिया।
हत्या के बाद उसने टॉवेल से फर्श पर पड़ा खून साफ किया और डंबल, चाकू तथा इस्तेमाल किए हुए सामान को टॉवेल में लपेटकर घर से 100 मीटर दूर स्थित एक पुरानी कुएं में फेंक दिया।
जाच में यह भी सामने आया कि नाबालिग ने हत्या की पूरी तैयारी पहले से कर रखी थी। उसने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मर्डर मिस्ट्री और क्राइम आधारित फिल्में व वेब सीरीज देखी।
इसके अलावा इंटरनेट पर कैसे करें हत्या’ और कैसे मिटाएं सबूत जैसी जानकारियां भी नाबालिग ने खोजीं। पुलिस ने बताया कि उसने यह सर्व इतिहास छिपाने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया था। नाबालिग ने हत्या की बात अपने एक करीबी रिश्तेदार के सामने रोते हुए कबूल की थी। पुलिस ने यह कबुलनामा ‘इन कैमरा ‘ रिकॉर्ड किया।
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एसआईटी की टीम ने कुएं से हत्या में इस्तेमाल डंबल और चाकू बरामद किए। साथ ही स्कूटर में छिपाए गए खून से सने कपड़े भी जब्त किए। घटना के हुए स्वरूप और तकनीकी समझ को देखते हुए, जेजे एक्ट की धाराओं के अनुसार 17 वर्ष 8 महीने के आरोपी को ‘प्रौढ़’ माना गया।
इसलिए उसका मामला सत्र न्यायालय में चलाया गया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ए। एस। देशपांडे ने कुल 32 साक्षियों के बयान दर्ज करवाए। इनमें से चार मुख्य गवाह मुकदमे से मुकर गए।
इसके बावजूद अदालत ने गंभीरता से मामले की पड़ताल की और नाबालिग आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
साथ ही 1 हजार रुपये जुर्माना और जुर्माना न भरने पर 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भी निधर्धारित किया गया। यह फैसला हत्या की बेहद क्रूर और योजनाबद्ध प्रकृति को देखते हुए न्यायालय द्वारा दिया गया एक कठोर लेकिन महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।