प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोेशल मीडिया )
Sambhajinagar Water Supply Scheme News: छत्रपति संभाजीनगर शहर की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान करने के उद्देश्य से लागू की जा रही नई जलापूर्ति योजना अब निर्णायक चरण में पहुंच गई है।
पहले चरण में शहर को 200 एमएलडी पानी उपलब्ध कराने के लिए चल रहे सभी प्रमुख कार्य अंतिम अवस्था में हैं। किसी भी स्थिति में 25 दिसंबर से पानी की परीक्षण आपूर्ति शुरू की जाएगी।
यह जानकारी सूत्रों ने दी है। इस योजना के अंतर्गत जैकवेल के अप्रोच ब्रिज पर स्थित 2500 मिमी व्यास की मुख्य जलवाहिनी की हाइड्रोलिक जांच सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है।
इसके साथ ही सायफन पद्धति से जायकवाड़ी बांध का पानी जैकवेल तक लाने के लिए आवश्यक लोहे के पुलों का कार्य भी पूर्ण हो चुका है। इससे शहर के लिए राहत भरी तस्वीर स्पष्ट हो रही है।
करीब 2740 करोड़ रुपये की लागत वाली यह महत्वाकांक्षी योजना महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के माध्यम से जीवीपीआर नामक ठेकेदार कंपनी द्वारा क्रियान्वित की जा रही है। योजना का लगभग 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। पहले चरण में 200 एमएलडी जलापूर्ति की समय-सीमा दिसंबर के अंत तक तय की गई है।
केबल, वाल्व और मैनिफोल्ड का कार्य अंतिम चरण में पंप और मोटर पैनल के लिए केबल बिछाने का कार्य जारी है। 40 मैनिफोल्ड का काम अगले दस दिनों में पूरा होने की संभावना है।
अप्रोच ब्रिज पर ट्रस्ट ब्लॉक डालने का कार्य चल रहा है। मुख्य जलवाहिनी पर 50 मीटर के पांच गैप शेष है। दो स्थानों पर बटरफ्लाई वाल्व लगाने का कार्य प्रगति पर है।
जलशुद्धिकरण केंद्रों के कार्य भी अंतिम चरण में पहुंच चुके हैं। जलशुद्धिकरण पंप हाउस में पांच पंप लगाए गए हैं। नक्षत्र वाड़ी में 110 लाख लीटर क्षमता वाले उच्च स्तरीय जल भडारण टैंक की हाइड्रोलिक जांच जारी है।
नक्षत्र वाड़ी जलशुद्धिकरण केंद्र में विद्युत केबल बिछाने का कार्य चल रहा है। जायकवाड़ी और नक्षत्र वाड़ी के एक्सप्रेस फीडर का काम 20 दिसंबर तक पूरा हो जाएगा, किसी भी स्थिति में 25 दिसंबर से 200 एमएलडी पानी की परीक्षण आपूर्ति शुरू की जाएगी। यह जानकारी सूत्रों ने दी है।
जैकवेल के आप्रोच ब्रिज पर 750 मीटर लंबी 2500 मिमी व्यास की मुख्य जलवाहिनी की रविवार को हाइड्रोलिक जांच सफल रही। इस दौरान पानी का दबाव 450। मिमी तक रखा गया।
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इसके बाद सायफन के माध्यम से जायकवाड़ी बांध से जैकवेल तक पानी लाने के लिए छह लोहे के पुल लगाए गए हैं, जिन पर प्रत्येक पुल पर दो-दो 300 मिमी व्यास की पाइपलाइन स्थापित की गई है।