
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया )
Sambhajinagar Politics Hindi News: छत्रपति संभाजीनगर महानगरपालिका चुनाव से पहले शहर की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता और पूर्व स्थायी समिति सभापति राजू उर्फ रेणुकदास वैद्य ने ठाकरे गुट से नाता तोड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी का मंगलवार को दामन थाम लिया।
राजू वैद्य ने आरोप लगाया कि ठाकरे गुट ने हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करते हुए हिंदुत्व से किनारा कर दिया है। इसी कारण उन्होंने यह निर्णय लिया। उधर, यूबीटी के सूत्रों के अनुसार आए दिन पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे व अंबादास दानवे के बीच जारी विवादों से वैद्य परेशान थे।
इसी परेशानी से राहत पाने उन्होंने यूबीटी से नाता तोडकर भाजपा का दामन थामा राजू वैद्य के भाजपा में प्रवेश को मनपा चुनाव की दृष्टि से अहम माना जा रहा है। उनके साथ ठाकरे गुट के विधानसभा संगठनकर्ता अक्षय खेडकर ने भी भाजपा में प्रवेश किया।
मुंबई स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में मंगलवार को यह प्रवेश कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर राज्य के ओबीसी विकास मंत्री अतुल सावे, सांसद डॉ। भागवत कराड, विधायक संजय केणेकर, जिला अध्यक्ष किशोर शितोले और पूर्व जिला अध्यक्ष शिरीष बोरालकर उपस्थित थे।
राजू वैद्य ने कहा कि उन्होंने हमेशा हिंदुत्व और राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ राजनीति की है, लेकिन हाल के समय में ठाकरे गुट की भूमिका इस विचारधारा से भटकती नजर आई। ऐसे में वैचारिक असहमति के कारण उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया।
उन्होंने दावा किया कि भाजपा ही वह पार्टी है जो स्पष्ट रूप से हिदुत्व और विकास के मुद्दों पर काम कर रही है। भाजपा नेताओं ने राजू वैद्य के प्रवेश का स्वागत करते हुए कहा कि उनके अनुभव और जनाधार से पार्टी को मनपा चुनाव में मजबूती मिलेगी।
भाजपा का दावा है कि इस प्रवेश से ठाकरे गुट को शहर में बड़ा झटका लगा है और आने वाले दिनों में अन्य नेता और कार्यकर्ता भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं उधर, ठाकरे गुट के वरिष्ठ नेता अंबादास दानवे ने यूबीटी से नाता तोडकर भाजपा का दामन थामने पर पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “प्रलोभन की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि राजू वैद्य हाल तक पार्टी के साथ थे और अचानक उनका भाजपा में जाना समझ से परे है। दानवे ने आरोप लगाया कि सत्ता और पद के लालच में ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से छत्रपति संभाजीनगर की मनपा की चुनावी राजनीति और अधिक गरमा गई है। भाजपा और ठाकरे गुट के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है, वहीं मतदाताओं की नजर अब इस बात पर टिकी है कि इन राजनीतिक बदलावों का चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ेगा। उधर, यूबीटी के सूत्रों के अनुसार राजू वैद्य उसी पार्टी में रहकर राजनीति करना चाहते थे।
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परंतु, आए दिन जिले के पूर्व सांसद चन्द्रकांत खैरे व अंबादास दानवे के बीच जानी अनबन से वह परेशान थे। दानवे के पास जाए तो खैरे नाराज और खैरे के पास जाए तो दानवे नाराज इससे राजू वैद्य परेशान थे। इससे राहत पाने के लिए उन्होंने भाजपा का दामन थामने का दावा यूबीटी के सूत्रों ने किया।






