प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Bombay High Court Order Hindi News: छत्रपति संभाजीनगर कोरोना महाव्याधि के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाएं देने वाले डॉक्टरों को आखिरकार इंसाफ मिल गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने कोविड काल में कार्यरत चिकित्सकों को 2.37 करोड़ रुपए का बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।
कोविड काल में छत्रपति संभाजीनगर महानगरपालिका के अंतर्गत नियुक्त आयुष, एमबीबीएस व बीडीएस डॉक्टरों को 50,000 प्रतिमाह भुगतान का वादा किया गया था। हालांकि, वास्तव में उन्हें सिर्फ 30,000 प्रतिमाह भुगतान किया गया। शेष राशि की मांग को लेकर चिकित्सकों ने कई बार प्रशासन से गुहार लगाने के साथ ही आंदोलन भी किए, पर कोई ठोस समाधान नहीं निकला।
तदुपरांत सभी कोविड डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त की गई व बकाया राशि भी नहीं दी गई। इस अन्याय के खिलाफ महाराष्ट्र एनएसयूआई के उपाध्यक्ष डॉ. शादाब अब्दुल रहमान शेख ने वर्ष 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। प्रारंभिक आदेशों के बावजूद जब भुगतान नहीं हुआ, तब उन्होंने अवमानना याचिका दाखिल की।
मामले की सुनवाई के दौरान पता चला कि छत्रपति संभाजीनगर जिलाधिकारी ने बकाया भुगतान का प्रस्ताव तैयार कर उसे अतिरिक्त आयुक्त (राजस्व) के जरिए रिलीफ व रिहैबिलिटेशन विभाग, मंत्रालय, मुंबई को भेजा गया था, जिसमें कुल 2,37,90,000 की राशि दर्शाई गई है।
प्रकरण में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नितिन बी सूर्यवंशी व वैशाली पाटील जाधव की खंडपीठ ने 8 दिसंबर 2025 को संबंधित मंत्रालय के सचिव चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने व 8 सप्ताह के भीतर सभी कोविड चिकित्सकों को कुल 2।37 करोड़ की बकाया राशि का भुगतान देने का आदेश दिया था। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि तय समयसीमा में आदेश का पालन नहीं हुआ, तो इसे गंभीर अवमानना माना जाएगा।
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डॉ. शादाब शेख ने कहा कि यह लड़ाई किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं थी, बल्कि उन सभी कोविड योद्धा डॉक्टरों के सम्मान व अधिकारों के लिए थी, जिन्होंने महामारी के सबसे कठिन समय में बिना किसी सुरक्षा व अनिश्चित भविष्य के बावजूद जनता की सेवा की। उन्होंने कहा कि यह फैसला प्रशासन के लिए स्पष्ट संदेश है कि आपदा काल में सेवा देने वालों के अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती।