सांसद डॉ. भागवत कराड़ (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhajinagar News In Hindi: औरंगाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया है। 25 अक्तूबर को इसकी आधिकारिक रूप से घोषणा हो चुकी है। नया स्टेशन कोड CPSN होगा। इस बीच भाजपा ने रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर उर्दू में नाम लिखे जाने का विरोध किया है।
भाजपा विधायक संजय केनेकर ने मांग की है कि रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर उर्दू में लिखा गया छत्रपति संभाजीनगर नाम हटाया जाए। भाजपा विधायक संजय केनेकर ने मांग की है कि रेलवे स्टेशन के बोर्ड से उर्दू लिपि में लिखा ‘छत्रपति संभाजीनगर’ नाम हटाया जाए।
विधायक केनेकर ने कहा कि जब अधिसूचना में भाषा (उर्दू) का उल्लेख नहीं है, तो बोर्ड पर उस भाषा का उल्लेख क्यों किया जा रहा है? उन्होंने आगे कहा कि अधिसूचना में केवल हिंदी, अंग्रेजी और मराठी का ही उल्लेख है। उर्दू में नाम देखकर मैं हैरान रह गया।
केनेकर ने कहा कि क्या रेलवे अधिकारी के रिश्तेदार मुगलों के साथ काम कर रहे थे? मैंने उन्हें फोन करके बदलाव करने को कहा है। उन्होंने कहा कि देश ने कई ‘शाही’ हुकूमतें और अंग्रेजों का शासन देखा है, जिन्होंने हमारे इतिहास को मिटाने की कोशिश की। उर्दू में नाम लिखना हम पर निजामी भाषा थोपने की कोशिश है।
रेलवे स्टेशन पर छत्रपति संभाजीनगर फलक का अनावरण सांसद डॉ भागवत कराड़ ने करने की जानकारी दी। इस अवसर पर मराठवाड़ा रेलवे कृति समिति के अनंत बोरकर, राजेश मेहता, अशोक जाधव, नितिन चिते, बापूसाहब देसले, दत्तू पाटील पुंडे, कैलास रिठे, रेलवे स्टेशन प्रमुख सुनील बिरारे कमर्शियल ऑफिसर प्रशांत स्वामी, हंसराज मीना, आईपीएफ अधिकारी भास्करराव, अनीता बागुल, प्रशांत गंभीरराव, गणेश दलवी, स्वास्थ्य अधिकारी राहूल कल्याण, ओम वाघमारे आदि मौजूद रहे।
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उन्होंने कहा कि छत्रपति संभाजीनगर 1948 तक हैदराबाद के निजाम की रियासत का हिस्सा था और इसे उस समय औरंगाबाद कहा जाता था। उर्दू में नाम लिखे जाने पर भाजपा नेता के विरोध को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जलील ने कहा कि हम यहां पिट लाइन (रखरखाव ट्रैक) के उद्घाटन की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन वे तो बोडों का उद्घाटन कर रहे हैं। अगर उन्हें (भाजपा को) दूसरी भाषाएं नहीं आतीं, तो यह उनकी समस्या है। जो लोग उर्दू नाम का विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि दिल्ली रेलवे स्टेशन, जहां उनके शीर्ष नेता बैठते हैं, वहां भी उर्दू और पंजाबी में नाम लिखा है।