
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच (सौ. सोशल मीडिया )
Chhatrapati Sambhajinagar News In Hindi: बॉम्बे उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ ने राज्यभर की निजी शालाओं के सेवकों (गैर-शिक्षा कर्मचारियों) के लिए बड़ी राहत देते हुए अधिक भुगतान वेतन वसूली पर अंतरिम स्थगनादेश जारी किया है।
इसके साथ ही न्यायमूर्ति विभा कंकणवाड़ी व न्यायमूर्ति हितेन वेणेगांवकर की पीठ ने राज्य सरकार संग संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए हैं। अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। इस आदेश से राज्य के हजारों निजी शालाओं के सेवकों को राहत मिली है।
अब सरकार को अपना पक्ष अदालत में पेश करना होगा। राज्य सरकार ने 31 जुलाई को जारी निर्णय के जरिए निजी शालाओं के सेवकों को मिलने वाली सुधारित सेवांतर्गत आश्वासित प्रगति योजना के दूसरे लाभकी वेतनश्रेणी घटाकर सातवें वेतन आयोग के लेवल-5 से लेवल-4 कर दी थी। इसके खिलाफ जितेंद्र शिसोदे समेत करीब 40 सेवकों ने एड। विठ्ठलराव सलगरे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
12 वर्ष को सेवा पूरी करने पर वर्ष सरकार ने 1998 में कालबद्ध पदोन्नति योजना लागू की थी। 2001 में सरकारी व जिला परिषद कर्मचारियों को आधासित प्रगति योजना (ACP) दी गई। 2010 में संशोधित योजना के तहत सेवा काल में दो पदोन्नति लाभ देने का प्रावधान किया गया। हालांकि, पहले यह योजना निजी स्कूलों के कर्मियों को लागू नहीं थी। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 2014 में यह योजना उन्हें भी लागू करने की अनुमति दी गई। इसके अनुसार 2024 में निजी शाला सेवकों को एस-5 (18,000-56,900) वेतनश्रेणी दी गई।
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परंतु एक वर्ष बाद, 31 जुलाई को सरकार ने इसे घटाकर एस-4(17,100-54,000) कर ज्यादा प्रदान वेतन वसूली के आदेश जारी किया था। खंडपीठ ने अंतरिम राहत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं से अतिप्रदान वेतन की वसूली जबरन न की जाए।






