प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोसल मीडिया )
Grazing Land Regularisation: छत्रपति संभाजीनगर जालना जिले की मंठा तहसील के उमरखेड़ा और मालतोंडी गांव के तीन किसानों की गायरान अर्थात चारागाह जमीन के बारे में बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाया है।
न्यायमूर्ति विभा कंकणवाड़ी व न्यायमूर्ति हितेश वेणेगांवकर की खंडपीठ ने सरकार के निर्णय के अनुसार जमीन नियमित करने की प्रक्रिया 4 महीनों के भीतर पूर्ण करने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता वसंत गायकवाड़, हरिभाऊ राक्षे व रमाबाई जाधव ने एड. अंगद कानडे (भाटसावंगीकर) के जरिए याचिका दाखिल कर कहा था कि उक्त जमीन उनके पास लंबे समय से काबिज है और वे खेती कर रहे हैं। उन्होंने आग्रह किया था कि 28 नवंबर 1991 के सरकारी निर्णय के तहत उक्त जमीन उनके नाम पर पंजीकृत की जाए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि संबंधित चारागाह जमीन वे 1980 से 1990 से कस रहे हैं। पूर्व पटवारी व मंडल अधिकारी ने बाकायदा पंचनामा भी किया था।
यही नहीं, याचिकाकर्ताओं के नाम 1-ई में पंजीकृत है। अदालत के समक्ष हिंगोली जिले के नंदकिशोर सालवे बनाम राज्य सरकार प्रकरण में 25 जुलाई 2024 के आदेश का भी जिक्र किया गया, जिसमें गायरान भूमि नियमित करने के निर्देश दिए गए थे।
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इन सभी दलीलों पर विचार करते हुए खंडपीठ ने संबंधित प्रशासन को निर्धारित नियमों के अनुसार जल्द कार्रवाई करने व चार माह के भीतर प्रक्रिया पूर्ण करने के आदेश दिए है।