भारत- पाकिस्तान एशिया कप 2025 (pic credit; social media)
Asia Cup 2025 Ind vs Pak: एशिया कप टी20 चैम्पियनशिप और आईसीसी महिला विश्व कप की तारीख और शेड्यूल की घोषणा होते ही देश सहित नागपुर में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबलों को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। खेल गलियारों में क्रिकेट प्रेमी देश प्रेम को पहले रखते हुए नापाक पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच न खेलने की मांग करने लगे हैं।
खेल प्रेमियों का मानना है कि खून और पानी एक साथ नहीं बहना चाहिए। चाहे कुछ भी हो जाए अब पाकिस्तान से मैच के नाम पर दोस्ती का हाथ बढ़ाना ठीक नहीं। पैसा और खेल यह सब देश से पीछे है। खेल प्रेमियों का मानना है कि 22 अप्रैल को देश के दर्जनों पर्यटकों के साथ पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने धर्म पूछकर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया।
सीमा पर उनकी नापाक हरकतों के कारण हमारे कई जवान शहीद हो गए। पुलवामा आतंकवादी घटना हो या मुंबई 26/11, ऐसे कई अनगिनत जख्म पाकिस्तान के आतंकवादियों ने दिए हैं जिन्हें देश कभी नहीं भूल सकता।
खेल प्रेमियों ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ लीजेंड (डब्ल्यूसीए 2025) के सेमीफाइनल में युवराज सिंह की अगुवाई वाली भारतीय टीम के फैसले का स्वागत कर कहा कि भारतीय टीम ने 31 जुलाई को सेमीफाइनल में पाकिस्तान टीम के साथ मुकाबला न खेलकर देश प्रेम को सबसे ऊपर रखा। इस फैसले से देश की आम जनता का दिल हमारे लीजेंड खिलाड़ियों ने जीत लिया।
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एशिया कप चैम्पियनशिप में 14 सितंबर को होने वाले भारत बनाम पाकिस्तान मुकाबले पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हमेशा से भारत-पाक मुकाबले को हाईवोल्टेज मानकर पूरे विश्व में माहौल बनाया जाता रहा है। इससे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और बीसीसीआई को करोड़ों रुपए की आय होती है। यदि भारत उनके साथ मुकाबला नहीं खेले तो उन्हें आर्थिक क्षति पहुंचना तय है। इधर, हाल ही में भारत सरकार ने पाकिस्तान हॉकी टीमों को इस साल के अंत में देश में होने वाले एशिया कप और जूनियर विश्व कप में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी है।
नागपुर क्रिकेट कमेंटेटर डॉ. यश काशिकर ने कहा, पाकिस्तान की कायराना हरकत के बाद यह जानकर बेहद निराशा और पीड़ा है कि बीसीसीआई ने एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेलने की मंज़ूरी दे दी है। क्या अब क्रिकेट देश की अस्मिता और जनभावनाओं से ऊपर हो गया है? क्या करोड़ों की कमाई देश के सम्मान से ज़्यादा अहमियत रखती है?
हर बार जब भारत-पाक मैच की बात होती है, क्रिकेट को ‘राजनीति से अलग’ बताकर पल्ला झाड़ लिया जाता है लेकिन क्या आतंक को नजरअंदाज कर खेल में भाईचारे की उम्मीद करना सही है? अगर सैनिक सीमा पर खून बहा रहे हैं तो हम मैदान में ‘मैत्री मैच’ कैसे खेल सकते हैं? बीसीसीआई को यह समझना चाहिए कि यह केवल एक क्रिकेट मैच नहीं है। यह एक राष्ट्र की आत्मा और उसका आत्म सम्मान है। सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए। एक आम क्रिकेट प्रेमी होने के नाते मैं इस निर्णय से आहत हूं। हमें पाकिस्तान से न खेलकर एक बड़ा संदेश देना चाहिए। देश सबसे पहले आता है।
क्रिकेट प्रेमी व एनसीए संचालक माधव बाकरे ने कहा, पाकिस्तान हमेशा कुछ न कुछ करके देशवासियों और हमारी सेना के जवानों को नुकसान पहुंचाता है। जो देश हमारे देश पर हमला करने की कोशिश करे उसका हमेशा के लिए बायकॉट होना चाहिए। दुनिया की सबसे धनी बोर्ड बीसीसीआई है। यदि भारत, पाकिस्तान से मैच न खेले तो बीसीसीआई का कुछ नहीं बिगड़ेगा। बीसीसीआई ने आम जनता की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
हमारे लिए देश प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं है। भारत अगर पाकिस्तान का बायकॉट करेगा तो अन्य संस्थाएं भी पाकिस्तान से दूरी बनाएंगी। ऐसे में पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ेगा। तब ही पाकिस्तान में कुछ सुधार हो सकता है। फिलहाल की स्थिति में पीसीबी की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। यदि यह मैच नहीं होता है तो वह कंगाल हो जाएगा। यही मौका है कि उनके साथ कोई खेल न खेलें।
समाजसेवी व क्रिकेट प्रेमी आनंद पी तिवारी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों के सामने देशभक्त और भारत माता के वीरपुत्र के नाम से अपने आपकी प्रसिद्धि लिए हुए हैं। पहलगाम अटैक के बाद से भारत ने पाकिस्तान की ओर देखना ही नहीं चाहिए। पाकिस्तान के आतंकवादियों ने देश की आम जनता को जाति पूछकर मारा। इससे देश के नागरिकों का खून खौल उठा। मैं एक भारतीय होने के कारण भारत बनाम पाकिस्तान के मुकाबले का निषेध करूंगा। मोदी सरकार ने भी हस्तक्षेप करते हुए एक निर्णय लेना चाहिए कि आज भी और भविष्य में भी पाकिस्तान के साथ किसी तरह का कोई खेल न खेला जाए।
पूर्व क्रिकेटर व साईं क्रिकेट एकेडमी संचालक सुभाषणी गाढ़े ने कहा, पाकिस्तान ने जिस तरह की कायराना हरकत देश के साथ की है उसके बाद से उसके साथ किसी भी तरह से व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। यदि उनके साथ क्रिकेट खेला जाता है तो इससे जनभावना निश्चित रूप में आहत होगी। आम जनता की भावनाओं को समझते हुए अब समय आ गया है कि बहुपक्षीय सीरीज भी भारत-पाकिस्तान के बीच न खेली जाए। हालांकि बीसीसीआई उनके साथ द्विपक्षीय सीरीज कई सालों से बंद कर चुका है, फिर भी अंतिम फैसला बीसीसीआई और सरकार के ऊपर है कि वह क्या चाहते हैं।