राजकुमार ओवरब्रिज (सौ. नवभारत )
Amravati News In Hindi: शहर का राजकमल उड़ान पुल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। पुल की स्थिति जर्जर बताई जा रही है और इसी कारण प्रशासन ने ऊपरी मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया है।
ऊपर से जाने वाले रास्ते पर दीवार खड़ी कर दी गई है ताकि किसी भी प्रकार की आवाजाही न हो सके। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि पुल वास्तव में कमजोर है तो उसके नीचे से गुजरने वाले बोगदों को क्यों नहीं बंद किया गया? रेल्वे स्टेशन से बेलपुरा, राजापेठ और शंकरनगर की ओर जाने वाला यही बोगदा प्रतिदिन हजारों राहगीरों और नागरिकों के लिए प्रमुख मार्ग है।
लोग रोज इसी रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन प्रशासन ने इन्हें बंद करने की कोई पहल नहीं की है। नागरिकों का कहना है कि यह रवैया उनकी जान से खिलवाड़ करने जैसा है। नागरिकों की चिंता स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि पुल की हालत ऊपर से खराब है तो नीचे से भी खतरा उतना ही बड़ा है। ऐसे में जब तक बोगदों को बंद नहीं किया जाता, तब तक किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी।
नागरिकों का प्रश्न है कि यदि किसी दिन अचानक यह पुल गिर गया तो उसके नीचे से गुजरने वाले लोगों का क्या होगा? उनके जीवन की जिम्मेदारी कौन लेगा? कुछ लोगों ने तो यहां तक सवाल उठाया है कि यदि प्रशासन ने बोगदा बंद नहीं किया है तो इसका मतलब यह हुआ कि पुल की हालत उतनी भी खराब नहीं है। ऐसे में क्या जनता को भ्रमित कर अनावश्यक रूप से गुमराह किया जा रहा है?
नागरिकों में इस बात को लेकर भी गहरा आक्रोश है। रेलयात्रियों की सुरक्षा पर सवाल मामला केवल राहगीरों तक सीमित नहीं है। पुल के नीचे से गुजरने वाली रेल पटरियों पर हर दिन कई ट्रेनें भी गुजरती हैं। नागरिकों ने प्रश्न उठाया है कि यदि ऊपर से पुल कमजोर है तो नीचे से गुजरने वाली ट्रेनों में बैठी सैकड़ों जिंदगियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? यदि पुल का कोई हिस्सा अचानक गिर जाए और बिजली व्यवस्था या ट्रेनों पर आकर टूट पड़े तो क्या होगा? यह स्थिति किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में नागरिकों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह इस पूरे मामले में आधे-अधूरे कदम उठा रहा है। यदि पुल वास्तव में खस्ता हालत में है तो उसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण की योजना बनाई जाए और तब तक पुल के नीचे से भी आवाजाही पूरी तरह से बंद की जाए। लेकिन यदि पुल सुरक्षित है तो ऊपरी रास्ते को क्यों बंद किया गया? दोनों परिस्थितियों में प्रशासन का रवैया असमंजस और विरोधाभास से भरा हुआ दिखाई देता है। जनहित में त्वरित कार्रवाई की मांग लोगों ने मांग की है कि इस मामले पर तुरंत स्पष्टता लाई जाए।
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पुल की वास्तविक स्थिति की जांच कर नागरिकों को भरोसे में लेना आवश्यक है। यदि खतरा है तो सभी मार्ग पूरी तरह से बंद किए जाएं और वैकल्पिक रास्तों की व्यवस्था की जाए। वहीं, यदि पुल सुरक्षित है तो अनावश्यक अफवाहों को रोकने के लिए प्रशासन को खुलकर जानकारी देनी चाहिए। भय और असुरक्षा का माहौल नागरिकों का कहना है कि पुल और बोगदों की स्थिति को लेकर प्रशासन की खामोशी और आधी-अधूरी कार्रवाई से केवल भय और असुरक्षा का माहौल बन रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर कब तक चुप रहता है और कब तक नागरिकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं।