लैंडलाइन फोन (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Amravati News: अमरावती जिले में घर के कोने में एक खास जगह वाला लैंडलाइन फोन कभी धन-संपत्ति का प्रतीक माना जाता था। अगर किसी चाल या इमारत में किसी के पास फोन होता, तो उसकी खास अहमियत बढ़ जाती थी। हालांकि मोबाइल क्रांति के बाद लैंडलाइन फोनों का महत्व दिन-ब-दिन कम होता गया। 1995 में जिले में 35,000 से ज्यादा लैंडलाइन फोन थे। हालांकि, आज यह संख्या घटकर सिर्फ 704 रह गई है। वह भी सिर्फ सरकारी दफ्तरों में।
आम आदमी के हाथों में मोबाइल आने के बाद, एसटीडी बूथ और सिक्का बॉक्स का जमाना चला गया। 2021 से लैंडलाइन से मोबाइल पर कॉल करते समय नंबर से पहले ‘0’ लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। आज बीएसएनएल जैसी कंपनियां लैंडलाइन के साथ-साथ इंटरनेट की सुविधा भी दे रही हैं। फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के कारण लैंडलाइन सेवाओं को नया रूप मिल रहा है।
जिले में वर्तमान में 9,000 फाइबर ऑप्टिक फोन कार्यरत हैं, जो वॉइस कॉल के साथ-साथ इंटरनेट सुविधा भी प्रदान करते हैं। लैंडलाइन सेवा एक ऐसी टेलीफोन सेवा है जो केबल या ऑप्टिकल फाइबर पर चलती है। इसे ‘वायरलाइन’, ‘टेलीफोन लाइन’ या ‘पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क’ भी कहा जाता है। लैंडलाइन सेवा एक ही नंबर से कई फोन कनेक्ट करने की सुविधा देती है, इसलिए यह कार्यालयीन उपयोग में अभी भी उपयोगी है। मोबाइल के माध्यम से उपलब्ध सभी सुविधाओं, इंटरनेट की पहुंच और ब्रॉडबैंड की बढ़ती मांग के सामने पारंपरिक लैंडलाइन सेवाएं पिछड़ रही हैं।
जिले के सभी सरकारी कार्यालयों के अलावा कुछ निजी प्रतिष्ठानों में भी लैंडलाइन फोन दिखाई देते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में जिले में एक भी घर में लैंडलाइन नहीं है। मोबाइल क्रांति के कारण घरों से लैंडलाइन फोन लगभग गायब हो गए हैं। जिले में मोबाइल की वजह से सिर्फ 704 लैंडलाइन ही रह गए है।
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देशभर में कभी लाखों लैंडलाइन कनेक्शन हुआ करते थे, लेकिन अब मोबाइल के इस्तेमाल के कारण इनकी संख्या में भारी कमी आई है। बीएसएनएल और एमटीएनएल अभी भी लैंडलाइन सेवाओं के प्रमुख प्रदाता हैं। मोबाइल की सुविधा, कम लागत वाले इंटरनेट और वायरलेस कनेक्टिविटी ने लैंडलाइन की मांग को कम कर दिया है। ग्रामीण इलाकों में कुछ सरकारी कार्यालयों, बैंकों और स्कूलों में अभी भी लैंडलाइन का इस्तेमाल हो रहा है। दूरसंचार विशेषज्ञों के अनुसार लैंडलाइन धीरे-धीरे बीते ज़माने की बात होती जा रही है।
जिले में बीएसएनएल के 2 लाख से ज्यादा मोबाइल ग्राहक हैं। लैंडलाइन अब बीते जमाने की बात हो गई है। इनकी जगह फाइबर-ऑप्टिक केबल ने ले ली है। लैंडलाइन का रखरखाव मुश्किल हो गया है। अब फाइबर-ऑप्टिक केबल और मोबाइल पर इंटरनेट के कारण, लैंडलाइन मुश्किल में हैं।