अमरावती न्यूज
Mahayuti Alliance rift in Amravati: अमरावती महानगरपालिका चुनाव के नामांकन के अंतिम दिन भाजपा में बड़ी बगावत देखने को मिली। टिकट कटने से नाराज कई पूर्व पार्षदों ने पाला बदल लिया है, जिससे भाजपा के 45 सीटों के लक्ष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
महानगरपालिका चुनाव के नामांकन दर्ज करने के अंतिम दिन अमरावती की राजनीति में जबरदस्त भूचाल आ गया है। प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही सभी प्रमुख दलों में असंतोष के सुर मुखर हो गए हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उठाना पड़ रहा है। टिकट कटने से नाराज भाजपा के कई दिग्गज पूर्व पार्षदों और कद्दावर नेताओं ने पार्टी से बगावत कर विपक्षी दलों का दामन थाम लिया है। इस नाटकीय घटनाक्रम ने भाजपा के ’45 सीटों के लक्ष्य’ पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
टिकट वितरण में अपनी अनदेखी से नाराज होकर भाजपा के कई कद्दावर चेहरों ने नामांकन के अंतिम घंटों में अन्य पार्टियों से उम्मीदवारी हासिल कर ली। इनमें प्रमुख रूप से पूर्व पार्षद सचिन रासने, अजय सारसकर, सोनाली करेसिया, चंदू भोमरे और रेखा भुतड़ा का समावेश है। इन नेताओं के पाला बदलने से भाजपा के जमीनी कैडर में भारी रोष देखा जा रहा है। वहीं, वरिष्ठ नेता बलदेव बजाज ने दो दिन पहले ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर पार्टी को चौंका दिया था।
सोमवार का पूरा दिन बैठकों और मान-मनौव्वल के नाम रहा, लेकिन अंततः कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। शिवसेना (शिंदे गुट) ने कम सीटें मिलने पर खुलकर नाराजगी जाहिर की। पूर्व पालकमंत्री जगदीश गुप्ता ने सबसे पहले इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। हालांकि, मंत्री संजय राठौड़ देर रात तक सीटों के सामंजस्य के लिए प्रयासरत रहे, लेकिन सम्मानजनक सीटें न मिलने के कारण अंततः युति टूटने की घोषणा कर दी गई। इसके बाद मंगलवार सुबह दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से ‘एबी फॉर्म’ वितरित किए।
अमरावती की राजनीति के दो धुर विरोधी चेहरों, विधायक संजय खोडके (राकांपा-अजीत पवार गुट) और विधायक रवि राणा (युवा स्वाभिमान पार्टी) पर भाजपा हाईकमान द्वारा जरूरत से ज्यादा भरोसा जताना पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस के संजय खोडके ने शुरुआत से ही ‘एकला चलो’ का नारा देकर अपने इरादे साफ कर दिए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन दो बाहरी चेहरों को प्राथमिकता देना भाजपा के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।
भाजपा ने गठबंधन के तहत विधायक रवि राणा की पार्टी को 9 सीटें दी हैं। दिलचस्प बात यह है कि राणा ने कुछ प्रत्याशी भाजपा के चुनाव चिन्ह पर उतारे हैं, तो वहीं कई अन्य सीटों पर भाजपा के खिलाफ ही ‘मैत्रीपूर्ण लड़ाई’ लड़ने की घोषणा कर दी है। इस दोहरी रणनीति ने भाजपा के आधिकारिक उम्मीदवारों की जीत की राह मुश्किल कर दी है।
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भाजपा की इस आंतरिक कलह का सीधा फायदा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) उठाने की कोशिश में हैं। भाजपा से नाराज कई प्रत्याशी कांग्रेस और शिंदे सेना के टिकट पर मैदान में उतर चुके हैं। अब सभी की नजरें नामांकन वापसी के अंतिम दिन पर टिकी हैं, जिसके बाद ही अमरावती मनपा चुनाव की वास्तविक और स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।