ओबीसी आरक्षण बचाने 25 को आक्रोश सभा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Amravati District: राज्य सरकार द्वारा हैदराबाद गजेटियर लागू कर मराठा समाज को ओबीसी आरक्षण में शामिल करने के प्रयासों के विरोध में ओबीसी समाज ने तीव्र आंदोलन का रास्ता अपनाया है। ओबीसी समाज का मानना है कि यह निर्णय उनके आरक्षण अधिकारों पर अन्यायपूर्ण अतिक्रमण है, जिसे रोकना अत्यंत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से 15 सितंबर से अकोला जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष जनार्दन हिरलकर, शंकर पारेकर, पुष्पा गुलवाडे, राजेश ढोमणे और एड.भाऊसाहब मेडशिकर ने आमरण अनशन शुरू किया है।
यह आंदोलन अब व्यापक रूप लेता जा रहा है, क्योंकि गांव-गांव से समर्थन पत्र प्राप्त हो रहे हैं। चार संगठनों ने आंदोलन को समर्थन देते हुए पत्र सौंपा। आंदोलन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए ओबीसी समाज ने 25 सितंबर को आक्रोश सभा आयोजित करने की घोषणा की है। इस सभा में बड़ी संख्या में ओबीसी समाज के लोग शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। यह सभा आंदोलन को निर्णायक मोड़ देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। आमरण अनशन के आठवें दिन वंचित बहुजन आघाड़ी की महिला शाखा ने भी समर्थन पत्र देकर आंदोलन को मजबूती प्रदान की।
इसके अलावा पूर्व विधायक नारायण गव्हाणकर, हरिदास भदे, विजयराव कोसल, प्रा। डॉ। संतोष हुशे, सुभाष सातव, सदाशिव शेलके, एड। प्रकाश दाते, प्रा। विजय उजवणे, चंदू सावजी, अनिल शिंदे, विष्णु मेहरे, नंदू बोपूलकर, गणेश इंगोले, सुमित्रा निखाडे, अर्चना धनोकार, माया इरतकर, श्रीराम पालकर, भानुदास भदाणे, लखुअप्पा लंगोटे, मनीष शेलके, शंकरराव इंगले, रामेश्वर बदरखे, शंकरराव बिडकर, विशाल घुगे, राजेश गावंडे सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने आंदोलन को समर्थन दिया।
इस आंदोलन में ओबीसी समाज की विभिन्न जातियों जैसे ओतारी, डोबारी, छप्परबंद मुस्लिम, माकडवाले, लभाणी, वेरड, रामोशी, मुस्लिम शाहा, मुस्लिम मदारी, मन्नेवार, बागवान आदि के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। यह आंदोलन पूरी तरह से कानूनी और लोकतांत्रिक मार्ग से चलाया जा रहा है। ओबीसी समाज अकोला जिला की ओर से अपील की गई है कि सरकार तक यह आवाज पहुंचे, इसके लिए लाखों की संख्या में लोग इस आंदोलन में भाग लें और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करें।