एसटी बस (सौ. सोशल मीडिया )
Akola News In Hindi: महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) को आर्थिक रूप से संकट से उबारने वाला प्रमुख स्रोत प्रवासी टिकटों से मिलने वाला राजस्व पिछले डेढ़ महीने से लगातार घटता जा रहा है।
अगस्त महीने के पहले पांच दिनों का विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि एसटी को प्रतिदिन लगभग पांच करोड़ रु की आय में कमी का सामना करना पड़ा है।
यह जानकारी महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बरगे ने दी। इस वर्ष की शुरुआत में किराया वृद्धि के बावजूद एसटी को प्रतिदिन 32.36 करोड़ रु का अपेक्षित राजस्व प्राप्त होना चाहिए था। लेकिन अगस्त के पहले पांच दिनों में औसतन केवल 27 करोड़ रु की आय हुई, जिससे 25 करोड़ रु की तूट सामने आई है।
बरगे ने बताया कि यह पिछले चालीस वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट है और एसटी की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। संचित घाटा 10 हजार करोड़ रु से अधिक हो चुका है, जो एसटी के लिए खतरे की घंटी है। हर वर्ष जून-जुलाई में यात्रियों की वापसी से आय में बढ़ोतरी होती है, लेकिन इस वर्ष इन महीनों में भी अपेक्षित राजस्व प्राप्त नहीं हुआ। यदि यही स्थिति बनी रही और घाटा बढ़ता रहा, तो एसटी की राह और कठिन हो जाएगी।
बरगे ने आरोप लगाया कि टिकट बिक्री में लगातार गिरावट के कारणों की खोज करने के बजाय एसटी प्रबंधन ने केवल यात्रियों की संख्या में कमी को दोष देकर अपनी अक्षमता को उजागर किया है। पिछले डेढ़ महीने से आय में गिरावट स्पष्ट है, फिर भी कोई प्रभावी उपाय नहीं किए गए हैं। एसटी कर्मचारियों की वेतन से कटौती की गई 2,500 करोड़ रु। की पीएफ और ग्रैच्युटी राशि अभी तक संबंधित ट्रस्ट को जमा नहीं की गई है।
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गणेशोत्सव जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर भी कर्मचारियों को अग्रिम राशि देने के लिए निधि उपलब्ध नहीं है। हर महीने सरकार से मिलने वाली सब्सिडी प्रतिपूर्ति राशि से ही वेतन दिया जा रहा है। महंगाई भत्ता और वेतनवृद्धि की बकाया राशि भी अब तक नहीं दी गई है, जिससे कर्मचारी परेशान हैं। बरगे ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि एसटी को आर्थिक संकट से बाहर निकालना है, तो सरकार की सहायता के साथ-साथ एसटी को स्वयं भी आयवृद्धि के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। लेकिन वर्तमान में प्रबंधन निष्क्रिय और हताश नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आम जनता की एसटी को बचाने की भावना है, तो उन्हें भी अब सवाल पूछना चाहिए।