आदिवासी विद्यार्थियों को मुख्यधारा से जुड़ना जरूरी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अकोला: आदिवासी शब्द संस्कृत के आदि (मूल) और वासी (रहने वाले) से बना है, जिसका अर्थ है मूल निवासी। इसी संदर्भ में डॉ.पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षण संचालनालय के प्रमुख संपादक तथा आदिवासी समाज के अभ्यासक प्रा. संजीवकुमार सलामे ने कहा कि आदिवासी समाज को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दिए गए शैक्षणिक और सामाजिक आरक्षण का सकारात्मक लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ना चाहिए।
यह विचार उन्होंने ऑल इंडिया आदिवासी एम्प्लॉईज फेडरेशन द्वारा आयोजित आदिवासी विद्यार्थी सुसंवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम कृषक भवन, अकोला में हुआ, जिसमें प्रा.सलामे विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।उन्होंने कहा कि जमाती शब्द सामाजिक इकाई के लिए और आदिवासी शब्द मूल निवासियों के लिए प्रयुक्त होता है।
महाराष्ट्र की आदिवासी जमातों पर उन्होंने गहन विवेचन करते हुए युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं, करियर योजना और सफल जीवन के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया। उनके विचारों से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ा। जिला संगठक राजू मसराम ने कहा कि संगठित समाज ही क्रांति ला सकता है। उन्होंने सरकार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों को लक्ष्य निर्धारण का संदेश दिया।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता फेडरेशन के जिलाध्यक्ष सुरेश मडावी ने की। उन्होंने संगठन की कार्यशैली बताते हुए कहा कि विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान के लिए फेडरेशन हमेशा साथ है। उन्होंने प्रा.सलामे के प्रयासों को समाज के लिए प्रेरणादायक बताया। विचारमंच पर जिला संगठक राजू मसराम, जिला प्रतिनिधि रामकृष्ण टेकाम, जिला सलाहकार रमेश टेकाम उपस्थित थे।
चंद्रपुर, गडचिरोली, यवतमाल और वर्धा जिलों के कृषि क्षेत्र से जुड़े आदिवासी विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में सहभाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत आदिवासी क्रांतिकारकों की स्मृति को नमन कर हुई। इसके बाद विद्यार्थियों और अतिथियों का परिचय हुआ, जिससे नई-पुरानी पहचानें फिर से जुड़ीं। सफलतार्थ विद्यार्थी प्रतिनिधि पार्थ कोरवते, आदर्श दुर्वे, प्रणय सलामे, आदर्श कंगाले, सुजल मडावी, वैष्णवी ताराम, सृष्टी नराते, तेजस्विनी आतला, त्रिवेणी मडावी, कल्याणी उईके आदि ने विशेष परिश्रम किए। संचालन कुंदन पेंदोरे ने और आभार प्रदर्शन प्रणय सलामे ने किया।