
अकोला. पिछले तीन वर्षों की तुलना में अमरावती विभाग में डेंगू और मलेरिया का ग्राफ यद्यपि काफी कम हो गया है, लेकिन लगभग 1936 हाथीपाव रोग से पीड़ित मरीज सर्वेक्षण में पाए गए हैं. इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, मलेरिया के सहायक निदेशक के कार्यालय ने रोग पैदा करने वाले मच्छरों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए गप्पी प्रजनन केंद्रों पर ध्यान केंद्रित किया है. गप्पी प्रजनन केंद्रों के साथ संभाग के सभी पांच जिलों में स्थायी प्रजनन आधारों के लिए ‘कोड संख्या’ देने के लिए एक अनोखा अभियान शुरू किया गया है.
कीट रोग नियंत्रण अभियान के तहत सभी पांच जिलों में अकोला, वाशिम, बुलढाना, अमरावती और यवतमाल में पहल शुरू की गई है. सभी पांच जिलों में मच्छरों के प्रजनन के आधार दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और उन प्रजनन आधारों पर रोकने के लिए एक अभियान चलाया जाएगा. ये गप्पी मछली मच्छरों के लार्वा को नष्ट करते हैं. प्री-मानसून उपायों के तहत जिले में गप्पी प्रजनन केंद्र और स्थायी प्रजनन आधार के लिए कोड नंबर शुरू किए गए हैं. यह जानकारी मलेरिया विभाक के सहायक निदेशक डा.कमलेश भंडारी ने दी है.
मलेरिया विभाग के सहायक निदेशक डा.कमलेश भंडारी ने बताया कि क्यूलेक्स मच्छरों के कारण हाथीपाव रोग यह घातक बीमारी होती हैं. ये मच्छर अपने अंडे गंदे पानी में डालते हैं और वहां प्रजनन करते हैं. ये मच्छर शाम को सीवर पाइप से निकलते हैं और घरों में घुसपैठ करते हैं और रात भर मानव रक्त चूसते हैं. उस समय वे अपने मुंह से मानव शरीर में स्राव छोड़ते हैं, जिससे कीट-जनित रोग पैदा होते हैं. एलिफेंटियासिस (हाथीपाव) एक गंभीर बीमारी मानी जाती है. ऐसे मरीजों का इलाज लगातार पांच वर्षों तक प्रत्येक वर्ष लगातार 12 दिनों तक किया जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बीमारी के कारण रोगी अपना सामाजिक स्वास्थ्य खो देता है.
महानगरपालिका क्षेत्रों में नगरपालिका मलेरिया योजना के अंतर्गत मच्छरों के प्रजनन के स्थानों पर छिड़काव किया जा रहा है. अमरावती हाथीपाव रोग नियंत्रण दस्ते ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों से बचाने वाले रसायनों का छिड़काव कर रहे हैं. नागरिकों को अपने सीवर पाइप पर जाल स्थापित करना चाहिए ताकि ये मच्छर बाहर न आएं और नालों का भी नियमित रूप से निरीक्षण करें, यह आहवान डा.कमलेश भंडारी ने किया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अकोला जिले में 197, वाशिम जिले में 107, अमरावती जिले में 281, बुलढाना जिले में 224 और यवतमाल जिले में सबसे अधिक 372 इस तरह पूरे अमरावती विभाग में 1,181 गप्पी प्रजनन केंद्र है. यवतमाल जिला भी मच्छर बढ़ाने वाले स्थानों की संख्या में सबसे आगे है, यहां 2,238 मच्छर बढ़ानेवाले स्थायी स्थान पंजीकृत किए गए हैं. इसी तरह अकोला जिले में मच्छर बढ़ानेवाले स्थायी स्थान 1,023 है तथा वाशिम जिले में यह स्थान 1,052, अमरावती जिले में 1,287, बुलढाना जिले में 1,064 स्थान है. पूरे संभाग में ऐसे स्थायी प्रजनन स्थानों की संख्या 6,664 दर्ज की गई है, जो बढ़ सकते हैं.
जिला : मरीज
अकोला : 77
वाशिम : 13
बुलढाना : 28
अमरावती : 1220
यवतमाल : 598






