उपमुख्यमंत्री अजित पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली महायुति सरकार “वित्तीय संकट” से निपटने के लिए शराब की दुकानों के 328 नये लाइसेंस जारी करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इससे संतों की भूमि शराबखोरी की ओर बढ़ जाएगी और लाखों परिवारों को परेशानी होगी। इस पर जवाब देते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि सरकार ने एक नियम बनाया है कि विधायिका को विश्वास में लिये बिना शराब की दुकानों के लिए लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे।
पुणे में मीडियाकर्मियों से बातचीत में अजित पवार ने कहा कि जहां तक शराब लाइसेंस का सवाल है, महाराष्ट्र में नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाता है। पवार ने कहा कि हमने एक नियम बनाया है कि यदि राज्य में शराब की दुकानों के लाइसेंस दिए जाने हैं, तो ऐसा विधायिका को विश्वास में लिये बिना नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में शराब की दुकानों के लाइसेंस की संख्या बढ़ रही है, लेकिन महाराष्ट्र इस मामले में नियमों और व्यवस्थाओं का पालन करता है।
उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा कि हमारा रुख अलग है। अगर किसी दुकान को स्थानांतरित करना होता है, तो हम नियमों के अनुसार ही अनुमति देते हैं और सब कुछ उसी के अनुसार होता है। एक समिति होती है जो ऐसा हर फैसला लेती है। अगर कहीं महिलाएं आपत्ति जताती हैं, तो हम शराब की दुकानें बंद कर देते हैं। अगर शराब की दुकानों से जुड़े आरोप सही पाए जाते हैं, तो सरकार कार्रवाई करेगी।
इससे पहले दिन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, एनसीपी (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि महाराष्ट्र की शराब नीति से संतों की भूमि शराबखोरी की ओर बढ़ जाएगी और लाखों परिवारों को परेशानी होगी।
जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार राज्य भर में शराब की 328 नयी दुकानों के लाइसेंस जारी करने की योजना बना रही है, ताकि ‘लाडकी बहिन योजना’ जैसी योजनाओं के वित्तीय बोझ से निपटा जा सके।
शरद पवार गुट के नेता ने कहा कि आज, 50 साल पहले रद्द किए गए लाइसेंस एक करोड़ रुपये में बेचे जा रहे हैं, जबकि उनकी कीमत 15 करोड़ रुपये है। मेरे पास 47 कंपनियों के निदेशकों की सूची है, जो (इन लाइसेंस के लिए) मंत्रालय के चक्कर लगा रहे हैं। ये वही लोग हैं, जो इस भ्रष्ट व्यवस्था से लाभान्वित हो रहे हैं।
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जितेंद्र आव्हाड ने राज्य के नागरिकों, खासकर महिलाओं, से राज्य सरकार की शराब नीति का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरने का आग्रह किया। उन्होंने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के ठाणे में येऊर क्षेत्र में प्रतिबंधित क्षेत्रों में शराब की कथित बिक्री का हवाला देते हुए कहा कि आबकारी अधिकारी इस गोरखधंधे में शामिल हैं।
8 जुलाई को वित्त एवं राज्य आबकारी विभाग संभालने वाले अजित पवार ने विधानसभा को सूचित किया था कि 1972 के बाद से राज्य में कोई नया शराब लाइसेंस नहीं दिया गया है, हालांकि मौजूदा लाइसेंसों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर उचित प्रक्रिया के बाद स्थानांतरित करने की अनुमति है।
वित्त मंत्री ने विधानसभा को यह भी बताया कि मौजूदा नियमों के तहत ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जो नगर निगमों को अपने अधिकार क्षेत्र में शराब के लाइसेंस रद्द करने का प्रस्ताव पारित करने की अनुमति देता हो।