अहमदाबाद विमान हादसा
नागपुर: अहमदाबाद में एयर इंडिया के एआई-171 (बोईंग 787 ड्रिमलाइनर) विमान के क्रैश होने के बाद चारों ओर आग, धुआं, तनाव और चीख पुकार का माहौल था। शुरुआत में कुछ समझ ही नहीं आया कि आखिर क्या हो गया है। यह घटना बेहद दुखदायी थी। यह अनुभव सिटी के युवा चिकित्सक डॉ. सुशांत देशमुख ने साझा की।
होस्टल में चारों ओर धुएं का गुबार
डॉ. सुशांत बीजे मेडिकल कॉलेज परिसर में गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट से संलग्न (जीसीआरआई) सुपरस्पेशलिटी विभाग में कर्क रोग शल्यक्रिया में स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष में हैं। शुक्रवार की शाम को मीडिया ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संवाद किया। डॉ. सुशांत ने बताया कि जिस वक्त विमान परिसर के हॉस्टल में गिरा उस वक्त वे ट्रॉमा की ओपीडी में मरीजों की जांच कर रहे थे। ओपीडी खत्म होने के बाद वे भी हॉस्टल में जाने वाले थे। उस वक्त सहपाठियों ने बताया कि हॉस्टल में आग लग गई है। मैं तुरंत बाहर आया। हॉस्टल में जाकर जरूरी दस्तावेजों को समेटने निकला लेकिन जैसे ही सामने आया चारों ओर धुएं का गुबार ही नजर आ रहा था।
सुशांत ने बताया कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हुआ है। स्नातक हॉस्टल से लगकर ही स्नातकोत्तर हॉस्टल है। विमान क्रैश होने के बाद भयंकर आग निकल रही थी। आग का इतना रौद्र रूप था कि उसने करीब के हॉस्टल को भी चपेट में लिया।
बेटे से मिलने आई थी मां
डॉ. सुशांत ने बताया कि जहां विमान क्रैश हुआ वह इमारत स्नातक छात्रों का हॉस्टल है। जब घटना हुई तब कुछ एमबीबीएस छात्र हॉस्टल में खाना खा रहे थे। अब तक 8 मेडिकल छात्रों की मौत होने की जानकारी मिली है। स्थिति को काबू में लाने के लिए स्थानीय प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत कार्य में जुटा हुआ है। उन्होंने बताया कि जिस इमारत में आग भड़की उसमें एक जूनियर की मां अपने बेटे को मिलने के लिए आई थी। वह हॉस्टल के कमरे में ही थी, जबकि वह जूनियर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में था। उसकी मां आग से बाहर नहीं निकल सकी। आग की चपेट में आने से उसकी भी मौत हो गई। राहत दल ने उसका शव बरामद किया।