(कॉन्सेप्ट फोटो)
नवभारत डेस्क: यद्यपि वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए अनेक उपाय किए जा रहे हैं लेकिन वन विभाग को इस संबंध में अधिक सफलता नहीं मिल पा रही है। पिछले महीने बर्ड फ्लू के कारण 3 बाघों और एक तेंदुए की मौत से स्पष्ट हुआ था कि प्रशासन उनके स्वास्थ्य को लेकर भी गंभीर नहीं है। महाराष्ट्र में हर माह औसतन 2 बाघों और 10 तेंदुओं की मौत ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यद्यपि कुछ बाघ और तेंदुए स्वाभाविक रूप से मरते हैं लेकिन पिछले 6 वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि अवैध शिकार और दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों की संख्या अधिक है।
वर्ष 2025 के शुरू होते ही जनवरी में 11 बाघों की मौत हो गई। महीनेभर के ये आंकड़े बाघों के प्रति वन विभाग की गंभीरता पर सवाल खड़े करते हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन प्रमुख) कार्यालय नागपुर ने पिछले 6 वर्षों में बाघों की मौत के आंकड़े उपलब्ध कराए हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अभय कोलारकर को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि बाघों और तेंदुओं का अस्तित्व न केवल 2025 में बल्कि हर वर्ष खतरे में है। बताया गया है कि 2020 से 31 जनवरी 2025 के बीच कुल 168 बाघों की मौत हुई। इस अवधि के दौरान विभिन्न कारणों से 808 तेंदुओं की मौत हो चुकी है।
पिछले 5 साल के आंकड़े (डिजाइन फोटो)
बेशक हर महीने औसतन 2 बाघ मर रहे हैं, जबकि 10 तेंदुओं की दहाड़ शांत हो रही है। तेंदुओं की मौत की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उनका मुक्त संचार मनुष्यों के लिए और उनके लिए भी खतरनाक होता जा रहा है। राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर दुर्घटनाओं, कुओं में गिरने तथा बिजली के झटके लगने के कारण कुछ दिनों से तेंदुए मर रहे हैं।
विभिन्न कारणों से बस्तियों में घुसकर तेंदुओं द्वारा मनुष्यों पर हमले भी बढ़ गए हैं। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए तेंदुओं की सुरक्षा के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने तथा नागरिकों में जागरूकता लाने की आवश्यकता व्यक्त की जा रही है।
2023 में देशभर में 178 बाघों की मौत हुई। यह पिछले 12 वर्षों में बाघों की मृत्यु की सबसे अधिक संख्या थी। इस वर्ष राज्य में 52 बाघों की मौत हुई। देश में बाघों की कुल मौतों में से 30 प्रतिशत मौतें महाराष्ट्र में हो रही हैं। 2024 में भी यही स्थिति है। इस वर्ष देश में 99 बाघों की मौत हुई। इसमें राज्य के 26 बाघ शामिल हैं।
पिछले 5 साल के आंकड़े (डिजाइन फोटो)
विभाग ने यह भी बताया कि 2020 से 31 जनवरी 2025 के बीच अवैध शिकार के कारण 41 बाघों और 55 तेंदुओं की मौत हुई। इससे यह तथ्य उजागर होता है कि शिकार पर अभी भी नियंत्रण नहीं है। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से यह भी पता चला है कि बाघ के शिकार मामले में गिरफ्तार आरोपियों की संख्या या कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि वन विभाग जंगली जानवरों के शिकार को लेकर गंभीर नहीं है।