भोपाल में BJP ने बनाई आपातकाल जेल (फोटो- सोशल मीडिया)
भोपाल: 25 जून 1975 को लगे आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी ने इसे संविधान की हत्या के दिन के रूप में याद किया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भाजपा दफ्तर में एक प्रतीकात्मक ‘आपातकाल जेल’ बनाई गई, जहां इंदिरा गांधी की एक तस्वीर लगाई गई है। इस तस्वीर में वे संविधान को हाथ में छिपाए खड़ी हैं और इसके सामने लिखा है “कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के काले अध्याय का 50वां वर्ष”।
इस प्रतीकात्मक जेल में एक प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें 1975 के आपातकाल के दौरान की गई संविधानिक सख्ती, नागरिक स्वतंत्रताओं का हनन और लोकतंत्र सेनानियों की पीड़ा को दर्शाया गया। भाजपा नेताओं की आपबीती, उस दौर के संस्मरण और कांग्रेस शासन पर कटाक्ष करने वाले पोस्टर भी प्रदर्शनी का हिस्सा बने।
सुधांशु त्रिवेदी ने बताया- “इंदिरा ही इंडिया थी”
इंदौर में भाजपा की संगोष्ठी में भाग लेने पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने पत्रकारों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “1975 में कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास किया। हाईकोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित होने के बावजूद इंदिरा गांधी ने सत्ता छोड़ने के बजाय आपातकाल घोषित कर दिया।” उन्होंने उस दौर के चर्चित नारे ‘इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया’ को हिटलर के जर्मनी से जोड़ा और कांग्रेस की प्रवृत्ति को तानाशाही करार दिया।
त्रिवेदी ने यह भी जोड़ा कि आज के दिन देश के युवाओं को बताना जरूरी है कि कैसे एक चुनी हुई सरकार ने संविधान को ताक पर रखकर लाखों लोगों को जेलों में डाल दिया था। आज जब हम संविधान की रक्षा की बात करते हैं, तो हमें इतिहास की गलतियों को याद रखना होगा, उन्होंने कहा।
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कांग्रेस ने रखा उपवास, BJP ने किया हमला
जहां कांग्रेस पार्टी ने 25 जून को लोकतंत्र की रक्षा के लिए उपवास रखा, वहीं भाजपा ने इस दिन को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाते हुए कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। भोपाल के अलावा अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी प्रदर्शन, संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। भारत में आपातकाल का कालखंड लोकतंत्र की सबसे काली रातों में गिना जाता है। आज जब इसकी 50वीं वर्षगांठ है, तब भी यह चर्चा और टकराव का विषय बना हुआ है। भाजपा द्वारा इस दिन को प्रतीकात्मक तौर पर मनाना, जहां इतिहास को याद रखने की कोशिश है, वहीं राजनीतिक विपक्ष को घेरने का मंच भी है।