RSS के मंच से पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ छलका का दर्द
Former Vice President Speech: भोपाल के रवींद्र भवन में शुक्रवार की शाम एक बेहद खास कार्यक्रम हुआ, जिसमें पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। मौका था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैद्य की पुस्तक ‘हम और यह विश्व’ के विमोचन का। यहां पहुंचे जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कुछ ऐसा कह दिया जिससे हर कोई हैरान रह गया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्कर में न फंसे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने भाषण के लिए हिंदी के बजाय जानबूझकर अंग्रेजी भाषा को चुना और इसकी एक दिलचस्प वजह भी बताई जो अब चर्चा का विषय बन गई है।
धनखड़ ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि उन्होंने काफी विचार-विमर्श के बाद अंग्रेजी में बोलने का फैसला किया। उनका मानना था कि जो लोग समझना नहीं चाहते और हर हाल में छवि धूमिल करना चाहते हैं, उन्हें उनका सही मंतव्य तभी समझ आएगा जब वह उनकी ही खास भाषा में बात करेंगे। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि वे नैरेटिव का शिकार बनाना चाहते हैं। उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद यह उनका पहला बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम था, जहां उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने एक पुरानी कहावत का जिक्र करते हुए तंज कसा कि सोए हुए को तो जगाया जा सकता है, लेकिन जो जागकर भी सोने का नाटक कर रहा हो, उसे जगाना नामुमकिन है, भले ही बल प्रयोग कर लिया जाए।
संबोधन के दौरान एक दिलचस्प वाकया तब हुआ जब उनके सहयोगी ने उन्हें बीच में टोकते हुए याद दिलाया कि उनकी फ्लाइट का समय हो रहा है। इस पर धनखड़ ने तुरंत जवाब दिया कि वह फ्लाइट पकड़ने की चिंता में अपने कर्तव्य को नहीं छोड़ सकते। उन्होंने अफसोस जताया कि समय की कमी की वजह से उनका गला पूरी तरह नहीं खुल पाया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि व्यक्तिगत तौर पर लड़ना मुश्किल होता है लेकिन एक संस्था लड़ सकती है। उन्होंने दुख जताया कि आज राष्ट्र के कॉन्सेप्ट को बहुत सीमित कर दिया गया है।
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कार्यक्रम में डॉ. मनमोहन वैद्य ने जगदीप धनखड़ को अपना अभिभावक बताया। वैद्य ने अपनी लेखन यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि एक घटना ने उनके भीतर के लेखक को जगाया। उन्होंने बताया कि जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में बुलाया गया था, तो उनका भारी विरोध हुआ था। उसी बेवजह के विरोध को देखकर उन्होंने लिखना शुरू किया। उनका मानना है कि बेवजह विरोध करने से अंततः संघ का ही फायदा होता है। इस अवसर पर वृंदावन के श्री आनंदम धाम आश्रम के पीठाधीश्वर ऋतेश्वर महाराज और वरिष्ठ पत्रकार विष्णु त्रिपाठी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे।