भारत लाए जाएंगे 8 चीता
भोपाल: भारत में जंगल सफारी करने वाले सैलानियों के लिए खुशखबरी है। मध्य प्रदेश और इसकी सीमा से सटे राजस्थान बॉर्डर पर अब जंगल साफरी का आनंद दो गुना होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि बोत्सवाना, दक्षिणा अफ्रीका और केन्या के जंगलों से कुछ ‘मेहमान’ भारत लाए जाएंगे। जी हां, ‘प्रोजेक्ट चीता’ के अंतर्गत भारत में 8 चीता भारत लाए जाएंगे। इससे चीतों के कुनबे में विस्तार होगा।
इस प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका, केन्या के घने जंगलों से देश में 8 चीते भारत लाए जाएंगे जिससे जंगल सफारी का लुत्फ और बढ़ जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार की ओर जारी सूचना में कहा गया है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के साथ केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में भोपाल में चीता परियोजना को लेकर चर्चा की गई।
एनटीसीए के हवाले से पता चला है कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और केन्या से और भी चीते भारत लाने के प्रयास चल रहा है। दो चरणों में आठ चीते भारत लाए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक मई तक बोत्सवाना से चार चीते भारत लाने की तैयारी है। इसके बाद चार और चीते लाए जाएंगे। फिलहाल भारत और केन्या के बीच प्रोजेक्ट चीता पर सहमति बन रही है।
एनटीसीए ने बताया कि जंगल में चीता सफारी की बढ़ती डिमांड को देखते हुए इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है। अब तक चीता प्रोजेक्ट पर कुल 112 करोड़ से अधिक खर्च हो चुका है। इसमें 67 प्रतिशत राशि मध्य प्रदेश में चीता पुनर्वास पर खर्च की गई है। प्रोजेक्ट के तहत अब गांधी सागर फॉरेस में चीतों को चरणबद्ध तरीके से बसाया जाएगा। यह जंगल राजस्थान की सीमा से सटा है। ऐसे में दोनों प्रदेशों के बीच अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र बसाने की तैयारी है। मध्य प्रदेश सरकार की सूचना के तहत कुनो नेशनल पार्क और गांधी सागर फॉरेस में चीतों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है। हाल ही में मादा चीता ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है।
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मध्य प्रदेश के जंगलों में चीतों का कुनबा बढ़ने के बाद यहां आने वाले सैलानियों के लिए जंगल सफारी का लुत्फ और बढ़ जाएगा। जंगल में चीतों को शिकार करते देखने अपने आप में रोमांचक होगा। प्रोजेक्ट चीता पर तेजी से कार्य किया जा रहा है।