विश्व शेर दिवस (सौ.सोशल मीडिया)
जंगल का राजा माने जाने वाले शेर को बेशक ही किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। मगर आवश्यकता है तो लगातार गिरती शेरों की संख्या को नियंत्रित करने की, इसी उद्देश्य को साकार करने के लिए हर साल 10 अगस्त को ‘विश्व शेर दिवस’ (World Lion Day 2024) मनाया जाता है।
एनिमल एक्टिविस्ट्स का मानना है कि शेर हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत जरूरी हैं। एशिया में सबसे ज्यादा शेर भारत में पाए जाते हैं। एशियाई शेर भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक है। इसके अलावा, अन्य चार रॉयल बंगाल टाइगर, इंडियन लेपर्ड, क्लाउडेड लेपर्ड, स्नो लेपर्ड हैं। ऐसे में आज विश्व शेर दिवस’ (World Lion Day 2024) के मौके पर आइए जानें इस दिन की शुरुआत कब हुई और इसका महत्व –
‘विश्व शेर दिवस’ की शुरुआत पहली बार साल 2013 में बिग कैट रेस्क्यू द्वारा की गई थी, जो शेरों को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा अभयारण्य है। इसकी सह-स्थापना डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट ने की थी, जो पति-पत्नी थे। उन्होंने जंगल में रहने वाले शेरों की रक्षा के लिए ‘नेशनल ज्योग्राफिक’ और ‘बिग कैट इनिशिएटिव’, दोनों को एक ही बैनर के तहत लाने की पहल शुरू की और तब से हर साल 10 अगस्त को ‘विश्व शेर दिवस’ मनाया जाने लगा।
विश्व शेर दिवस शेरों के संरक्षण के बारे में बताना और उसके लिए जरूरी कदम उठाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है। जागरूकता की कमी की वजह से शेरों की संख्या कम होती जा रही है। इसलिए इसके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को पारिस्थितिक तंत्र में शेरों के महत्व और उनके सांस्कृतिक महत्व के बारे में भी शिक्षित करना है।
एक शेर का वजन 190 किलो तक होता है और शेरनी का वजन 130 किलो तक।
एक शेर की उम्र 16 से 20 साल तक की होती है।
शेर की सुनने की क्षमता बहुत अधिक होती है।
भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ में शेर का चित्र बना हुआ है।
शेर बिल्ली की प्रजाति में आते हैं। इसलिए इन्हें बिग कैट कहा जाता है।
नर शेर की गर्दन पर बाल होते हैं, लेकिन मादा शेर के गर्दन पर बाल नहीं होते हैं।