क्या होती है नीमड़ी पूजन की परंपरा (सौ.सोशल मीडिया)
Nimdi Puja on Kajari Teej : 12 अगस्त को कजरी तीज का पवित्र पर्व मनाया जा रहा हैं। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में बहुत ही धूमधाम एवं पूरी आस्था के साथ मनाई जाती है। आपको बता दें, हरियाली और हरतालिका तीज की तरह ही कजरी तीज का पर्व भी सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है, जिसे भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, तीज पर्व पर विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन मां गौरी और भगवान शंकर की पूजा का महत्व है। तीज पर्व से कई परंपराएं और मान्यताएं भी जुड़ी है। इन्हीं में एक है ‘नीमड़ी पूजा’, जिसका कजरी तीज पर खास महत्व होता है।
कजरी तीज पर नीमड़ी पूजन के महत्व के पीछे की मान्यता यह है कि, नीम को पवित्र वृक्ष माना जाता है इसके पूजन से आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है। साथ ही यह औषधीय गुणों से भरपूर हता है। नीम का वृक्ष आसपास के वातावरण को भी शुद्ध करता है।
नीम वृक्ष प्रकृति के जुड़ा और स्त्री सशक्तिकरण का भी प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नीम के वृक्ष में देवी दुर्गा का भी वास होता है। इन्हीं कारणों से कजरी तीज के दिन महिलाएं नीम की डाली को देवी का रूप मानकर पूजा करती हैं।
आपको बता दें, लोक आस्था के मुताबिक, कजरी तीज के दिन नीमड़ी पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है, पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है और संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।
सुबह महिलाएं स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और दिनभर निर्जल उपवास करती हैं। शाम को नीम की टहनी या उसकी प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। कजरी माता की कथा सुनी जाती है, जिसमें एक ब्राह्मणी के व्रत और उसकी परीक्षा की कहानी होती है। अंत में चावल और गुड़ का भोग लगाकर सुखद वैवाहिक जीवन और पारिवारिक सुख की प्रार्थना की जाती है।
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कजरी तीज उत्तर भारत में मनाया जाने वाला एक पावन पर्व है, जो हरियाली तीज के लगभग पंद्रह दिन बाद आता है। यह त्योहार खासतौर पर विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र, पारिवारिक सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं, पारंपरिक कजरी गीत गाती हैं और रात को पूजा कर धार्मिक कथा सुनती हैं। कजरी तीज की सबसे खास परंपरा है निमड़ी पूजन, जिसमें नीम को देवी के रूप में पूजने की परंपरा है।