
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: 2021 की आखिरी एकादशी 30 दिसंबर, गुरुवार को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भी श्रद्धालु भगवान श्री हरि विष्णु की सच्चे मन से पूजा और एकादशी का व्रत रखता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, हर मनोकामना भी पूरी होती है। वहीं, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘सफला एकादशी’ कहा जाता है। आइए जानें ‘सफला एकादशी’ का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
एकादशी तिथि आरंभ
29 दिसंबर, 2021 बुधवार दोपहर 04:12 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त
30 दिसंबर 2021 गुरुवार दोपहर 01: 40 मिनट तक
पारण मुहूर्त
31 दिसंबर 2021, शुक्रवार सुबह 07:14 मिनट से प्रात: 09:18 मिनट तक
‘सफला एकादशी व्रत’ का पालन करने वाले भक्त भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं।
एकादशी की सुबह से शुरू होकर अगली सुबह सूर्योदय तक उपवास जारी रहता है जिसे ‘द्वादशी’ कहा जाता है।
भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें तुलसी , अगरबत्ती, सुपारी और नारियल अर्पण करें।
शाम के समय मंदिर जाकर दीपक प्रज्वलित करें।
‘सफला एकादशी’ की पूर्व संध्या पर भक्तों को पूरी रात श्री विष्णु का नाम जपना चाहिए और सोना नहीं चाहिए।
एकादशी व्रत के दौरान विष्णु मंत्र ॐ नमः भगवते वासुदेवाय का जाप करें।
अंत में, आरती करें और ब्राह्मणों या जरूरतमंद को भोजन और धन का दान करें।
हिन्दू धर्म में ‘सफला एकादशी’ का बड़ा ही महत्व है। ‘सफला एकादशी’ के महत्व का वर्णन स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। इस व्रत को लेकर श्रीकृष्ण भगवान ने कहा था कि बड़े-बड़े यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना ‘सफला एकादशी’ व्रत के अनुष्ठान से होता ये व्रत व्यक्ति को सभी कामों में मनोवांछित सफलता प्रदान करने वाला है और अत्यंत पुण्यदायी और मंगलकारी है।
जो भक्त सफला एकादशी का व्रत रखते हैं और रात में जागरण करके भजन कीर्तन करते हैं। उन्हें इस व्रत से वो श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है, जो श्रेष्ठ यज्ञों से भी संभव नहीं है। ऐसा व्यक्ति जीवन का सुख भोगकर मृत्यु पश्चात विष्णु लोक को प्राप्त होता है।






