
क्या है पौष अमावस्या का अध्यात्मिक महत्व (सौ.सोशल मीडिया)
Paush Amavasya 2025 Upay:19 दिसंबर को पौष महीने की अमावस्या मनाई जाएगी। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत ही खास महत्व है। ये तिथि हर महीने में आती है। शास्त्रों के अनुसार, ये दिन स्नान-दान और पितृ तर्पण संबंधी कार्यों के लिए अत्यंत ही शुभ होता है।
ये साल की अंतिम अमावस्या भी है। इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देने की विशेष परंपरा है। अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। आइए आपको बताते हैं पौष अमावस्या का महत्व और उपाय।
हिन्दू ग्रथों में पौष मास को बहुत ही पुण्य फलदायी बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर अपना कृपा बरसाते हैं।
कहा जाता है कि, जिन लोगों की कुंडली में संतान हीन योग हो उनके लिए पौष अमावस्या का व्रत और इस दिन पितरों का तर्पण करना बेहद फलदायी होता है।
शनि दोष या पितृ दोष से पीड़ित लोगों को पौष अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए। उनके नाम से तिल, वस्त्र, अन्न या पिंड का दान अवश्य करें। ऐसा करने से पितृ दोष से तो छुटकारा मिलेगा ही साथ ही शनि दोष से भी छुटकारा मिल जाएगा। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
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ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए इस दिन कपड़े और भोजन का दान जरूर करें। इसके अलावा इस दिन खिचड़ी का भंडारा करना भी शुभ माना जाता है। दान, पुण्य, पूजा और पौष अमावस्या के दिन व्रत करने से काल सर्प दोष तक से राहत मिल जाती है।






