
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: साल 2023 का पहला ‘सूर्य ग्रहण’ (Surya Grahan 2023) 20 अप्रैल 2023 को लगने जा रहा है और हर कोई इससे जुड़ी खबरों पर नजर गढ़ाए बैठा है। हालांकि, यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा और न ही भारत में रहने वाले लोगों पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा। ये सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से प्रारंभ होगा और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
ज्योतिषियों के मुताबिक, सूर्य ग्रहण शुरू होने से लेकर खत्म होने तक कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें करने की मनाही होती है। साथ ही ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। अधिकतर लोग जानते हैं कि सूर्य ग्रहण से पहले सूतक काल लग जाता है और ग्रहण समाप्त होने पर हटता है। यह सूतक काल बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानें क्या होता है सूतक काल और इस दौरान कौन से काम नहीं करने चाहिए।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार अप्रैल माह में इस वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को सुबह करीब 7:05 पर शुरू होगा और दोपहर 12:29 पर समाप्त हो जाएगा। सूर्य ग्रहण की कुल समय अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है, जबकि चंद्र ग्रहण में सूतक काल 09 घंटे पूर्व प्रारंभ होता है। सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ समय मानते हैं, इसमें कोई भी मांगलिक शुभ कार्य नहीं करते है। इस दौरान बच्चों और बुजुर्गों को छोड़कर सभी को भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समापन के कुछ समय बाद सूतक काल का अंत होता है। जिस स्थान पर सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, वहां पर सूतक काल मान्य होता है।
यह सूर्य ग्रहण कंबोडिया, चीन, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, मलेशिया, फिजी, जापान, समोआ, सोलोमन, बरूनी, सिंगापुर, थाईलैंड, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम, ताइवान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर दृश्यमान होगा।
कुछ लोगों को सूतक काल को लेकर यह भ्रांति है कि सूर्य ग्रहण कहीं भी हो लेकिन सूतक काल हर जगह लगता है। ऐसे में स्पष्ट कर दें कि जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देता है, केवल उसी जगह पर सूतक काल मान्य होता है। अन्य जगहों पर सूतक काल नहीं माना जाता है।






