ओणम फेस्टिवल के साद्या थाली (सौ.सोशल मीडिया)
आज देशभर में दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक ओणम का त्योहार मनाया जा रहा है जो दक्षिणी भारतीयों की आस्था का मूल प्रतीक होता है। आज के दिन राज्य में माहौल खुशियों भरा होता है तो वहीं पर 10 दिनों से चल रहे त्योहार का समापन करते है। इस त्योहार के मौके पर घरों को फूलों से सजाया जाता है तो वहीं पर घर के आंगन में फूलों की रंगोली बनाकर पूजा करने की परंपरा होती है।
इस त्योहार के मौके पर वैसे तो कई प्रकार के पारंपरिक व्यंजनों का भोग बनाया जाता है लेकिन सबसे खास साद्या थाली मानी जाती है। यानि किसी भी व्यंजन को केले के पत्ते में परोसने की परंपरा।
यहां पर दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहार ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। इसे लेकर ऐसा कहा जाता है कि केरल में महाबलि नाम का एक असुर राजा था. उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्योहार मनाया जाता है।ये त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है।
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यहां पर ओणम के त्योहार में विशेष तौर पर साद्या थाली का भोग लगता है जिसमें शाही थाली की तरह ही पूरे 26 पकवान होते हैं। इन 26 पकवानों में खट्टा, मीठा, तीखा, कसैला सभी तरह के स्वाद होते हैं। ध्यान रहें कि, यह थाली पूर्ण रूप से शाकाहारी होती है इसमें नॉनवेज डिश को शामिल नहीं करते है। केले के पत्ते पर सभी स्वाद वाले पकवान परोसे जाते है।
थाली में क्या होता है इसकी जानकारी देते चलें तो, मुख्य व्यंजनों में सांबर, रसम, शर्करा वरही, नारंगा करी, मांगा करी, उपेरी आदि प्रमुख हैं। इन सभी व्यंजनों में अलग-अलग सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से कुछ व्यंजन चटनी और अचार के रूप में होते हैं जो इस थाली के स्वाद को और बढ़ा देते हैं।
साद्या थाली में ओणम के मौके पर परोसी जाने वाली थाली में मीठे पकवान भी शामिल किए जाते है। सबसे खास होती है गुड़ की खीर, जिसे पायसम कहते हैं। इसके अलावा इस थाली में मैदे से बनाई जाने वाली खीर जिसे पलाड़ा कहते हैं, गेहूं से बनने वाली खीर, जिसे गोदम्ब कहते हैं और अरहर की दाल सें बनने वाली खीर, जिसे पझम कहते हैं, भी शामिल होती है। इसके अलावा चावल, परिप्पु करी, पच्चड़ी, पुलुस्सरी, ओलन, कालन, चेन यानी सूरन करी, खट्टा रायता भी इस थाली के प्रमुख व्यंजन भी शामिल किए जाते हैं। भूले नहीं तो इस मौके पर नारियल के पकवान भी बनाए जाते है।