नेशनल लीगल सर्विस डे (सौ.सोशल मीडिया)
National Legal Services Day: भारत देश में संविधान के अनुसार हर किसी को अपने खिलाफ हुई घटनाओं के लिए न्यायालय से न्याय मांगने का पूर्ण अधिकार है। इसके लिए स्थानीय न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट हर नागरिको को न्याय औऱ अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध रहते है। विधिक नियमों को बताने और समझाने के लिए हर साल 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस मनाया जाता है और भारत में विधिक सेवाओं को सही ढ़ंग से प्रस्तुत करता है ताकि नागरिक किसी भी सेवा से पीछे ना रहें।
यहां पर इस दिवस की बात करें तो, हर साल राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस 9 नवंबर को मनाया जाता है इसके लिए इस दिवस का उद्देश्य यह है कि, सभी नागरिकों को उचित, निष्पक्ष, और न्यायपूर्ण प्रक्रिया का लाभ मिले, इसके लिए जागरूकता फैलाना। इस दिवस को हर साल इस दिन पर इसलिए मनाया जाता है ताकि, समाज के कमज़ोर वर्ग के लोगों को मुफ़्त, बेहतरीन, और कानूनी सेवाएं सही ढंग से मिल सकें। इस दिन नागरिकों को विधिक सेवाओं की जानकारी दी जाती है।
विधिक सेवा दिवस पर जानें तो, अब न्यायालय से बिना मुकदमे के भी मदद और न्याय मिल रहा है. कोर्ट बाहर भी जाकर सरकारी कमियों को उजागर करने का काम कर रही है और लोगों को इंसाफ दिला रही है। इन सेवाओं के लिए किसी प्रकार का कोई कोर्ट काम नहीं करता हैं लेकिन विधिक सेवाओं को हर जगह पर इतना आसान बनाया है कि, न्याय तुरंत मिलता है।
पीड़ित प्रतिकर स्कीम
यहां पर विधिक दिवस पर इस स्कीम को समझें तो, यह खास तरह की स्कीम जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से चलाई जा रही है।इसके जरिए हत्या, रेप सहित अन्य मुकदमों के विक्टिम को प्राधिकरण से आर्थिक सहायता दी जाती है। इतना ही नहीं खुद पीड़ित या परिवार के सदस्यों को आर्थिक सहायता के तहत अधिकतम राशि 5 लाख रुपए मिलती है।
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निशुल्क विधिक सहायता के लिए अधिवक्ता
इस खास स्कीम को गरीब या जरूरतमंद लोगों के लिए शुरु की गई है। जहां पर कई लोग ऐसे होते हैं जो वकील की फीस नहीं चुका पाते है इसके लिए महिला, दिव्यांग, आपदा पीड़ित, बीपीएल, जेल में निरुद्ध व्यक्तियों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से निशुल्क अधिवक्ता की सहायता दी जाती है।सिर्फ जिला कोर्ट तक ही नहीं, अधिवक्ता की सहायता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक दी जा रही है.
महिला विधिक सहायता क्लीनिक
यह स्कीम महिलाओं के लिए शुरु की गई है जहां पर प्राधिकरण से एक महिला विधिक सहायता क्लीनिक का संचालन किया जाता है। इसके अलावा किसी महिला को परेशानी में खुद के घर से या बाहर से और पुलिस से भी मदद नहीं मिल रही है तो इस क्लीनिक में जा सकती है. प्राधिकरण की तरफ से परेशानी का हल किया जाएगा। किसी को पाबंद करवाना है तो भी करवा दिया जाएगा.
मिडिएशन
विधिक दिवस के मौके पर जानें तो, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से मिडिएशन का काम भी किया जाता है। इसके लिए मिडिएटर की भूमिका न्यायालय की होती है। यानि दो पक्षों में वर्षों से मुकदमा चल रहा है और दोनों को परेशानी आ रही है तो इसका हल प्राधिकरण से किया जाता है। प्राधिकरण दोनों पक्षों में मिडिएशन का काम करती है। मामले में राजीनामा करवाती है और यही मामला फिर लोक अदालत में रखती है, लोक अदालत से मामले का निस्तारण किया जाता है।