
नागासकी दिवस (सौ.सोशल मीडिया)
हर साल 9 अगस्त को ‘नागासाकी दिवस’ (Nagasaki Day 2024) मनाया जाता है। यह दिवस द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 9 अगस्त 1945 को नागासाकी शहर पर अमेरिकी द्वारा परमाणु बम गिराने की घटना की याद में मनाया जाता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमेरिका द्वारा किए गए इस हमले में हजारों लोगों की जान चली गई थी। बता दें कि, इस दिन को हर साल उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने इस त्रासदी का सामना किया और यह विश्वभर में शांति और परमाणु हथियारों की समाप्ति के लिए एक संकल्प का प्रतीक है। साथ ही, इस दिन को परमाणु युद्ध के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना के लिए ही मनाया जाता है।
नागासाकी में परमाणु हमले को आज 80 साल हो गए, लेकिन इस नरसंहार को आज भी इतिहास में भूला नहीं जा सकता है।
1- जानकारों के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान लगातार हमले कर रहा था। जापान उस समय भी एक शक्तिशाली देश माना जाता था। साल 1939 में शुरू हुए द्वितीय विश्व युद्ध को छह साल हो चुके थे, लेकिन जंग थमने का नाम नहीं ले रहा था। ऐसे में अमेरिका ने छह अगस्त 1945 को जापान के शहर हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया और फिर ठीक तीन बाद नौ अगस्त को नागासाकी में भी बम गिराकर जापान को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया।
2- आपको जानकारी के लिए बता दें, नागासाकी में जो परमाणु बम गिराया गया था, उसका नाम फैट-मैन (Fat Man) था। 9 अगस्त की सुबह 11 बजे के करीब नागासाकी में परमाणु विस्फोट हुआ। इस परमाणु बम का असर ऐसा था कि, वहां के लोगों को सोचने तक का समय नहीं मिला कि ये क्या हुआ। सभी लोग मौत की चपेट में आ गए।
3- नागासाकी शहर पहाड़ो से घिरा होने के कारण करीब 6.7 वर्ग किलोमीटर के इलाके में ही तबाही का मंजर देखने को मिला, जिसमें कम से कम 75 हजार लोगों की मौत हो गई थी।
4- इस परमाणु बम का असर ऐसा दिखा की कई सालों तक जापान के इस शहर में रहने वाले लोग विकिरण बीमारी, जलन और अन्य घावों के कारण मरते रहे। इस हमले से हिरोशिमा में कुल एक लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
5- इस तबाही को देखते हुए जापान ने परमाणु शक्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल और कभी परमाणु बम नहीं बनाने का संकल्प लिया। जापान के दो शहर को तबाह करने के बाद आज तक अमेरिका ने इसके लिए माफी नहीं मांगी है।
लेखिका- सीमा कुमारी






