सीता नवमी पर घूमें ये मंदिर (Social Media)
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: 16 मई 2024 को हिंदू धर्म में सीता नवमी (Sita Navami 2024) मनाई जाती है इस दिन माता सीता ( Goddess Sita) की विधि विधान से पूजा करने का नियम होता है। वैसे तो हमने भगवान राम (Lord Rama) के साथ माता सीता की मूर्ति देखी है जिनके साथ ही माता की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते है देश में ऐसे भी मंदिर है जहां पर भगवान राम के बिना भी माता सीता की पूजा की जाती है, तो उनके जुड़वे पुत्र लव-कुश की भी पूजा होती है।
1- सीता गुफा, महाराष्ट्र
सीता नवमी पर आप अगर घूमने का प्लान कर रहे है तो महाराष्ट्र के नासिक में स्थित सीता गुफा के दर्शन कर सकते है। इसके बारे में रामायण कथा में वर्णित है तो वहीं पर इसे आप नासिक के पंचवटी में देख सकते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर की जगह पर आपको पांच पवित्र बरगद के पेड़ भी देखने को मिलेंगे तो वहीं कहते है वनवास के दौरान माता सीता ने भगवान राम के साथ यहां निवास किया था। यहां पर घूमने जाने के लिए आपको नासिक रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर ऑटो या किसी वाहन से जाना होगा। यहां पर इस मंदिर के दर्शन करने के लिए समय सुबह 5:00 बजे – दोपहर 12:30 बजे तक है।
2-सीता देवी मंदिर केरल
सीता नवमी पर आप केरल के वायनाड में स्थित सीता देवी मंदिर के दर्शन कर सकते है यह आपको हरी-भरी वादियों के बीच बड़ा ही मनोरम मंदिर मिलेगा। शहर की चहल पहल से दूर इस मंदिर में आपको शांत वातावरण के साथ अच्छा सुकून मिलेगा। इस मंदिर में माता सीता की मूर्ति के अलावा आपको उनके पुत्र लव और कुश की मूर्ति भी देखने के लिए मिलती है। यहां पर घूमने या दर्शन करने आने के लिए समय की बात की जाए तो, समय- सुबह 5:00 बजे – दोपहर 12:30 बजे तक, शाम 5:30 बजे – शाम 7:30 बजे है।
मध्यप्रदेश में स्थित है ये अलौलिक मंदिर
सीता नवमी पर घूमने जाने के लिए आप मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के करीला में स्थित मां सीता के इस मंदिर के दर्शन कर सकते है जो अपनी मान्यताओं के लिए बेहद खास है। इतना ही इस मंदिर को भगवान श्री राम के बिना माता सीता की पूजा की जाती है। इस मंदिर में माता सीता अपने दोनों पुत्रों के साथ विराजमान हैं। यह भारत में फेमस माता सीता के मंदिर में से एक है। इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथा कहती है कि, जब भगवान राम ने माता सीता का त्याग कर दिया था, तब वह यही आकर रह रही थी। माता सीता ने अपने आगे का जीवन, वन में स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में गुजारा था।