
Ravan and Sita in van (Source. Pinterest)
Ravan kyu Mata Sita ko Chu nahi pata tha: रामायण की कथा भारतीय संस्कृति और आस्था का अहम हिस्सा है। इस महाकाव्य में भगवान श्रीराम के साथ-साथ रावण का चरित्र भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। जब भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ 14 वर्षों के वनवास पर गए, उसी दौरान लंकापति रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया। रावण माता सीता को लंका ले गया और उन्हें अशोक वाटिका में कैद करके रखा।
हालांकि यह बात सभी जानते हैं कि रावण माता सीता को छू तक नहीं पाया, लेकिन इसके पीछे की असली वजह क्या थी, यह सवाल आज भी लोगों के मन में उठता है। रामायण के उत्तरकांड में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
रावण केवल एक असुर ही नहीं था, बल्कि वह वेदों का ज्ञाता, महान विद्वान और अपार शक्तियों का स्वामी भी था। लेकिन अपने ज्ञान और बल के घमंड में उसने कई अधर्मपूर्ण कार्य किए। माता सीता का हरण भी उसी अहंकार का परिणाम था, जिसके कारण अंततः भगवान श्रीराम और रावण के बीच भीषण युद्ध हुआ।
वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड के अध्याय 26 और श्लोक 39 में उस श्राप का वर्णन मिलता है, जिसकी वजह से रावण किसी पराई स्त्री को छू नहीं सकता था। कथा के अनुसार, रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अपार बल का वरदान दिया। इस वरदान के बाद रावण ने स्वयं को अजेय समझना शुरू कर दिया और तीनों लोकों पर विजय पाने निकल पड़ा।
एक बार स्वर्ग की अप्सरा रंभा अपने होने वाले पति नलकुबेर से मिलने जा रही थी। रास्ते में उसकी मुलाकात रावण से हुई। रंभा की सुंदरता पर मोहित होकर रावण ने उसके साथ दुराचार किया, जबकि रंभा ने उसे समझाया कि वह नलकुबेर की होने वाली पत्नी है और इस नाते उसकी पुत्रवधू समान है।
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जब नलकुबेर को इस घटना का पता चला तो वे अत्यंत क्रोधित हो गए। उन्होंने रावण को श्राप दिया कि यदि उसने किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध उसे स्पर्श भी किया, तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में विभक्त हो जाएगा। यही श्राप वह कारण बना, जिसके चलते रावण चाहकर भी माता सीता को स्पर्श नहीं कर पाया।
यह कथा यह सिखाती है कि ज्ञान और शक्ति के साथ यदि संयम और धर्म न हो, तो पतन निश्चित है। रावण का अंत भी उसके अहंकार और अधर्म का ही परिणाम था।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।






