सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: सनातन धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जिसका अत्यधिक महत्व होता है। इस साल कुल 4 ग्रहण लगने हैं जिनमें से 2 ग्रहण पहले ही लग चुके है। पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल में लगा था और पहला चंद्र ग्रहण मई के महीने में देखा गया था। अब अक्टूबर के महीने में साल का दूसरा और आखिरी ‘सूर्य ग्रहण’ (Solar Eclipse) लगने वाला है।
वहीं, साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भी इसी महीने में लगने जा रहा है। अगर सूर्य ग्रहण की बात करें, तो यह तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। आइए जानें अक्टूबर में किस दिन सूर्य ग्रहण लगेगा, यह किस प्रकार का होगा, भारत से दिखेगा या नहीं और इसके सूतक काल के बारे में-
14 अक्टूबर, शनिवार के दिन इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। जब वलयाकार सूर्य ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पृथ्वी से अपनी सामान्य दूरी से दूर होता है जिस चलते यह सूर्य से छोटा नजर आता है और ग्रहण लगने पर ऐसा प्रतीत होता कि आसमान में रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) यानी आग की रिंग बनी हुई है। इस कारण इस सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जा रहा है।
जानकारों के अनुसार, इस सूर्य ग्रहण को भारत से नहीं देखा जा सकेगा। यह ग्रहण मुख्य रूप से अफ्रीका के पश्चिमी हिस्से, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक, नॉर्थ अमेरिका और साउथ अमेरिका से देखा जा सकता है। इस ग्रहण को कुछ हिस्सों में पूरी तरह देखा जा सकेगा तो कुछ में इसका कुछ हिस्सा ही नजर आएगा।
ज्योतिष-शास्त्रों के अनुसार, हिन्दू धर्म में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। इस कारण ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले से ही सूतक काल शुरू हो जाता है जिसमें बहुत से कामों को करने की मनाही होती है। इस दौरान विशेष बातों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है। सूतक काल तब लगता है जब ग्रहण दिखाई देता है। भारत से ग्रहण नहीं देखा जा सकेगा इस चलते भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।