किन्नौर कैलाश यात्रा (सौ.सोशल मीडिया)
सावन के पावन महीने में कांवड़ यात्रा के अलावा भगवान शिव की भक्ति लीन भक्त कई यात्रा पर निकल गए है हिंदू धर्म में कई ऐसी कई धार्मिक यात्राओं का उल्लेख मिलता है कि जिन्हें अपने जीवन में एक बार पूरा करने पर व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष या भगवान का धाम मिलता है।
हिमाचल प्रदेश में स्थित किन्नौर पर्वत पर यात्रा शुरू हो गई है इसकी शुरुआत 1 अगस्त से हुई है जो इस महीने के 26 अगस्त तक निरंतर चलेगी। कहते हैं भगवान शिव और माता पार्वती का इस किन्नौर कैलाश पर्वत से संबंध जहां पर दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते है। चलिए जानते हैं किन्नौर पर्वत के बारे में।
यह विशाल पर्वत समुद्र तल से 6050 मीटर की ऊंचाई पर है जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है। इस पर्वत की खासियत यह है कि, इसमें हिम खंड स्थापित है जो प्राकृतिक शिवलिंग है यानी कि यह स्वयं प्रकट हुआ है वहीं पर प्राकृतिक शिवलिंग दिन के दौरान रंग बदलता रहता है। कहा जाता है कि, यह चट्टान माउंट कैलाश और माउंट जोर्कंडेन की 20,000 फीट ऊंची किन्नौर कैलाश पर्वतमाला के बीच में है।
इस पर्वत को भगवान शिव के पांच पर्वतों में से खास माना जाता है जो मानसरोवर औऱ अमरनाथ यात्रा से भी कठिन यात्रा में से एक है। कहा जाता है कि, किन्नौर कैलाश पर्वत पर दर्शन और यात्रा केवल 1 महीने के लिए खुले होते है। बताते चलें कि, किन्नौर कैलाश हिंदुओं का तीर्थ स्थल होने के साथ ही बौद्ध अनुयायी का भी पवित्र यात्रा होता है।
किन्नौर परिक्रमा मार्ग (सौ.सोशल मीडिया)
किन्नौर कैलाश पर्वत से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है इसका संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा है। इस पौराणिक कथा के अनुसार, इस पर्वत पर ही भगवान शिव और माता पार्वती का पहली बार मिलन हुआ था यानी कि पहली बात दोनों ने एक दूसरे को इसी जगह पर देखा था।
जब शिव-पार्वती का मिलन हुआ, तब ब्रह्म कमल का पुष्प इस स्थान पर खिल उठा था जिसका तेज पूरे संसार में फैल गया था. ऐसा कहा जाता है कि आज भी किन्नौर कैलाश की यात्रा के दौरान अक्सर ब्रह्म कमल के फूल दिखते हैं, लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि यह फूल सिर्फ उन्हें ही नजर आता है जिनका मन पवित्र होता है और भक्ति से भरा रहता है।
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किन्नौर कैलाश यात्रा के लिए 1 अगस्त से लेकर 26 अगस्त तक के बीच यात्रा की शुरूआत हो गई है जिसके लिए मंदिर प्रशासन ने यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 25 जुलाई से शुरू कर दिया है। यात्री ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी माध्यम से पंजीकरण करवा सकते हैं.बिना रजिस्ट्रेशन से श्रद्धालु यात्रा नहीं कर सकते हैं। कहा जाता है अमरनाथ यात्रा औऱ केदारनाथ की यात्रा से कठिन यात्रा इस पर्वत से होती है। किन्नौर कैलाश तक पहुंचने के लिए यहां जानेवाला मार्ग दो बेहद ही मुश्किल दर्रों से होकर गुजरता है. पहला लालांति दर्रा और दूसरा चारंग दर्रा है।