
खरमास
सीमा कुमारी
सनातन हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इस साल खरमास 14 मार्च, सोमवार की रात से शुरू हो रहा है और 14 अप्रैल तक चलेगा। सूर्य का कुंभ की राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश होने के कारण खरमास लग जाएगा। इसके साथ ही पूरे एक महीने तक खरमास रहेगा और कोई भी मांगलिक काम नहीं होगे। मान्यताओं के अनुसार खरमास का बहुत अधिक महत्व है। जिस दिन सूर्य किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो वह संक्रांति के नाम से भी जानी जाती है। आइए जानें खरमास की तिथि और कौन से काम करने की है मनाही।
पंचांग के अनुसार, जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है तो खरमास शुरू हो जाते हैं। ऐसा साल में दो बार होता है। इस पूरे माह को मलमास, खरमास या फिर अधिक मास के रूप में जाना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य गुरु की राशि मीन या धनु में प्रवेश करता हैं तो खरमास दोष लगता है। इसी कारण इस काल के दौरान को मांगलिक काम करने से नुकसान होता है।
ज्योतिषियों के अनुसार खरमास के दिनों में भगवान भास्कर की पूजा और उपासना करने से साधक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कहते हैं कि खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही घर में यश-वैभव का आगमन होता है।
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इन दिनों में गौ माता, गुरुदेव और साधुजनों की सेवा करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
इस दौरान मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इसलिए इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य न करें। तामसिक भोजन से बचें। इसके अलावा, किसी से वाद-विवाद न करें।
ज्योतिषियों के मुताबिक, खरमास में बेटी या बहू की विदाई नहीं करनी चाहिए। साथ ही साथ, कारोबार का श्रीगणेश भी न करें।
देवी-देवताओं और पक्षियों के प्रति अप्रिय शब्दों का प्रयोग बिल्कुल न करें।
खरमास के दौरान नियमित रूप से भगवान भास्कर को जल का अर्ध्य दें। साथ ही, सूर्य मंत्र का जाप करना लाभदायी है।
खरमास में गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य अनुसार दान अवश्य करें।






