सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में ‘अक्षय तृतीया’ (Akshaya Tritiya 2023) का बहुत अधिक महत्व है। इस साल 22 अप्रैल दिन शनिवार को ‘अक्षय तृतीया’ का महापर्व है। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर सोना, चांदी, जौ, नारियल आदि वस्तुओं के खरीदने का जितना महत्व है, उतना ही महत्व श्रीयंत्र की पूजा और स्थापना का भी है। ‘श्रीयंत्र’ को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर घर में श्रीयंत्र की स्थापना और पूजा करने से धन में बढ़ोतरी होती है। किसी भी प्रकार से आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। बिजनेस में उन्नति होती है। दरिद्रता दूर होती है। धन लाभ का योग बनता है। आइए जानें इस यंत्र की स्थापना, पूजा विधि और लक्ष्मी मंत्र के बारे में-
श्रीयंत्र को पूजा स्थान, तिजोरी, बिजनेस स्थान आदि पर स्थापित कर सकते है। श्रीयंत्र की नियमित तौर पर पूजा करनी चाहिए। श्रीयंत्र की स्थापना के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही अच्छा है।
इस दिन किए गए सद्कर्मों का पुण्य हमेशा रहता है। अक्षय तृतीया के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:49 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक है। इस समय में आप पूजा स्थान पर एक छोटी चौकी पर लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र बिछा दें। उस पर श्रीयंत्र को रखें। फिर, माता लक्ष्मी का स्मरण करके ‘श्रीयंत्र’ की पूजा लाल पुष्प, अक्षत्, कमलगट्टा, रोली, चंदन, धूप, दीप आदि से करें। घी का एक दीप श्रीयंत्र के दाएं तरफ रख दें। उसके साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करें। सफेद बर्फी, खीर और बताशे का भोग लगाएं।
श्री यंत्र और मां लक्ष्मी की पूजा के बाद आप माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
* महालक्ष्मी मंत्र – ॐ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
* ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्मी नमः मंत्र
इन दोनों मंत्र का जाप कम से कम 108 बार कमलगट्टे की माला से करें। इससे आपके सुख और समृद्धि में अपार वृद्धि होगी और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। श्रीयंत्र की पूजा के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें। उस दीपक को पूरे घर में लेकर जाएं। पूजा के बाद श्रीयंत्र को तिजोरी या पूजा स्थान पर रखें और प्रतिदिन उसकी पूजा करें।