पानी की सफाई के लिए बनाया सेंसर (सौ. सोशल मीडिया)
गर्मी का मौसम चल रहा इस मौसम में सबसे ज्यादा जरूरी पानी है। पानी के बिना जीवन की सही कल्पना नहीं की जा सकती है। आजकल पानी को साफ करने के लिए वैसे तो कई प्यूरीफायर और फिल्टर मौजूद है लेकिन आपकी समस्या हल होने वाली है। हाल ही में राजस्थान के जोधपुर में आईआईटी ने नया सेंसर विकसित किया है जो पानी में मौजूद आर्सेनिक की मात्रा की पहचान करता है।
इस सेंसर को चलाने के लिए किसी विशेषज्ञ तकनीशियन की आवश्यकता नहीं होती है सेंसर कुछ देर में ही आंकड़े पेश कर देता है। इस सेंसर को केवल शहरी इलाके नहीं ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए तैयार किया गया है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर साफ पानी नहीं मिल पाते है।
इस खास तरह के सेंसर की बात की जाए तो, इसका इस्तेमाल बिना किसी टेक्नीशियन के होता है जो सटीक तरीके से आर्सेनिक की पहचान कर देता है। इसे एक सर्किट बोर्ड और ‘आर्डुइनो’ मॉड्यूल से जोड़ा गया है, जिससे यह रियल टाइम में आंकड़े साझा कर सकता है। इस सेंसर को खासतौर पर पानी में मिले आर्सेनिक की मात्रा की पहचान करने से है। इसे लेकर सेंसर बनाने वाले शोधकर्ता डॉ. महेश कुमार ने बताया कि इसका डिजाइन उपयोगकर्ता अनुकूल बनाया गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसे आसानी से चला सकें।
अब तक आर्सेनिक की जांच के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपिक और इलेक्ट्रोकेमिकल तकनीकों का उपयोग होता रहा है, लेकिन यह बहुत महंगी और तकनीकी रूप से जटिल भी होती हैं। आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए कारगार होता है।
आपको बताते चलें कि, पानी में आर्सेनिक की मात्रा का स्तर बढ़ जाएं तो, कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती है। इसमें त्वचा का कैंसर, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं और हृदय रोग प्रमुख हैं। भूजल में आर्सेनिक की उपस्थिति विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा 10 पीपीबी से अधिक होने पर गंभीर रूप ले सकती है।
आंकड़े बताते हैं कि, पीने के पानी के लिए आज भी कई लोग नल और कुंए पर निर्भर है जिनमें कई तत्व मौजूद होते है। 108 देशों के भूजल स्रोतों में आर्सेनिक की मात्रा सुरक्षित स्तर से अधिक है। भारत के 20 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों में यह समस्या गंभीर बन चुकी है।