विश्व हिंदी दिवस 2025 (सौ.सोशल मीडिया)
WORLD HINDI DAY 2025: हमारे देश की भाषा हिंदी है इस पर देशवासियों को गर्व है तो इसके प्रति सम्नान भी है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए आज 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यहां पर प्राचीन काल में हिंदी से पहले संस्कृत भाषा प्रचार में थी। बताया जाता है कि, हिंदी मौजूदा समय में दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी मूल रूप से संस्कृत भाषा से निकली है। हिंदी, केवल भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों के लिए सबसे खास है जहां पर हिंदू दिवस मनाया जाता है।
आपको बताते चलें कि, देश में हिंदी भाषा का कैसे उद्गम हुआ है इसके बारे में बताया जाता है। यहां पर हिंदी दिवस को लेकर कहा जाता है कि, प्राचीन काल में 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व के बीच भारत में वैदिक संस्कृत का इस्तेमाल होता था। चारों वेद और उपनिषद इसी भाषा में लिखे गए हैं। इसके बाद लौकिक संस्कृत का उदय हुआ। लौकिक संस्कृत से पालि भाषा निकली इस भाषा का प्रयोग गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश लिखने के लिए किए थे।
इसके बाद इस पालि भाषा से प्राकृत भाषा निकली है। माना जाता है कि, पालि के ही अपभ्रंश (भाषा का बिगड़ा हुआ रूप) अवहट्ठ से हिंदी का निर्माण हुआ। बताया जाता है कि, अपभ्रंश भाषाओं का इस्तेमाल साहित्य में 1000 ईस्वी के आस-पास होने लगा था।
आपको बताते चलें कि, हिंदी इतिहास के तीन काल का वर्णन किया गया है यहां पर आदिकाल पहला काल है तो वहीं पर दूसरा काल मध्यकाल और तीसरा काल आधुनिक काल है। यहां पर बताया जाता है कि, आदिकाल का समय 1000 ईस्वी से 1500 ईस्वी तक माना जाता है। इस दौरान कविताओं की रचना हुई और रासो ग्रंथ लिखे गए। इसके बाद 1500 ईस्वी से 1900 ईस्वी के बीच मध्यकाल माना जाता है। इसे भक्तिकाल भी कहते हैं।
इस दौरान क्षेत्रीय बोलियों में भगवान की भक्ति को लेकर काफी कुछ लिखा गया। 19वीं सदी में आधुनिक काल की शुरुआत हुई, जिसमें भरपूर मात्रा में गद्य लिखे गए। अंग्रेजों के समय हिंदी ने देश के लोगों को एकजुट करने में अहम योगदान दिया और संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया था।
आपको बताते चलें कि, भाषा वैज्ञानिक भोलेनाथ तिवारी ने क्षेत्रीय आधार पर पांच तरह की अपभ्रंश का जिक्र किया है। इसमें खास तौर शौरसेनी (मध्यवर्ती), मागधी (पूर्वीय), अर्धमागधी (मध्यपूर्वीय), महाराष्ट्री (दक्षिणी), व्राचड-पैशाची (पश्चिमोत्तरी)। भोलानाथ तिवारी के अनुसार अपभ्रंश के तीन रूपों शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी से हिंदी का विकास हुआ।
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बता दें कि, हिंदी की उपयोगिता बढ़ाने के लिए लेखकों का काफी बड़ा स्थान रहा है जहां पर 1200 ईस्वी के बाद हिंदी में साहित्य लिखा जाने लगा। हालांकि, इस समय तक सिर्फ कविताएं लिखी जाती थीं। अमीर खुसरो ने हिंदी में पहली कविता लिखी थी। भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिन्दी गद्य का जनक माना जाता है।