नरक चतुर्दशी 2023
सीमा कुमारी
नवभारत डिजिटल टीम: आज छोटी दिवाली यानी कि ‘नरक चतुर्दशी’ (Narak Chaturdashi 2023) का त्योहार मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में दिवाली एक ऐसा त्योहार है, जिसे हर कोई बेहद धूमधाम से मनाया है। पांच दिन चलने वाले दीपोत्सव के महापर्व की धूम हर जगह दिखाई देने लगी है। इस महापर्व की शुरुआत धनतेरस के त्योहार से होती है। धनतेरस के दिन लोग जमकर खरीदारी करते हैं और मिठाइयां खाते हैं। इसके अगले दिन लोग छोटी दिवाली यानी कि नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है। लेकिन इसी दिन इस खास विधि से पूजा करने पर अद्भुत सौंदर्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य के अनुसार, नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहा जाता है और इस दिन यमराज के साथ-साथ भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था।
कई जगहों पर यह भी मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान हनुमान जी का भी जन्म हुआ था। अगर आयु या स्वास्थ्य की समस्या हो तो इस दिन किए गए उपाय लाभकारी साबित होते हैं। आइए जानें ‘नरक चतुर्दशी’ के दिन किए गए उपाय के बारे में-
ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिए ऐसी मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी जिसे गोपाष्टमी भी कहा जाता है, इस दिन एक लोटे में पानी भर कर रखा जाता है। इस लोटे के जल से नहाने से नरक भय से मुक्ति मिलती हैं। स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने से मनुष्य के द्वारा साल भर में किए गए सभी पापों का नाश हो जाता हैं।
कहते है इस दिन विशेष उबटन लगाकर स्नान भी करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल अद्भुत सौंदर्य और रूप की प्राप्ति होती है बल्कि स्वास्थ्य की तमाम समस्याएं भी दूर होती है। साथ ही साथ स्नान करने के वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस जल से स्नान किया जा रहा हो वह गर्म नहीं होना चाहिए तथा ताजा या शीतल जल से ही स्नान करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले ही उठ जाएं और अपने पूरे शरीर पर तिल का तेल मलें, ऐसा करने से भी व्यक्ति को नर्क के भय मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान करने के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन कुलदेवी, कुलदेवता और पितरों के नाम से भी दिया जलाएं।