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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: देवों के देव महादेव को समर्पित सोमवार का दिन हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए बड़ा महत्व रखता है। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन जो भी भक्त भक्ति भाव से देवों के देव महादेव की पूजा- अर्चना करता है। उसके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
साथ ही सुख, समृद्धि, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है। इसके लिए साधक सोमवार समेत अन्य दिनों में भी विधि पूर्वक महादेव की पूजा करते हैं। हालांकि, बहुत कम लोगों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने के सही नियम पता है। आइए जानें शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम के बारे में-
ज्योतिष- शास्त्र के अनुसार, शिवलिंग पर हमेशा तांबे के पात्र से जल अर्पित करना शुभ होता है। इसके अलावा, आप चांदी व कांसे के पात्र भी इस्तेमाल कर सकते हैं परंतु भूलकर भी स्टील के बर्तन से शिवजी को जल अर्पित ना करें। इससे शिव की पूजा सफल नहीं मानी जाती और उसका परिणाम नहीं मिलता है।
इस बात का भी ध्यान रखें कि शिवजी को तांबे के बर्तन में कभी भी दूध नहीं चढ़ाना चाहिए, यह दूध विष के समान माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए, इससे शिवजी की कृपा नहीं मिलती है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मुख हमेशा दक्षिण दिशा में रहना चाहिए। आसान शब्दों में कहें तो दक्षिण दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर जल का अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में मुख कर जल का अर्घ्य देने से शिवजी प्रसन्न होते हैं। साथ ही साधक की पूजा को स्वीकार करते हैं। इससे साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा न करें। ऐसा करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। परिक्रमा करने के लिए शिवलिंग पर अर्पित जल को लांघना पड़ता है। शास्त्र में ऐसा करने की मनाही है। इसके लिए जल चढ़ाने के बाद परिक्रमा बिल्कुल न करें।